BHOPAL की हरियाली 35% से घटकर 9% रह गई, इसलिए आग का गोला बन गया

भोपाल। पहली बार भोपाल आग मे तपकर लाल होता नजर आ रहा है। लोग आश्चर्यचकित हैं कि हरा भरा भोपाल आग का गोला क्यों बन रहा है। पत्रकार हरेकृष्ण दुबोलिया की एक रिपोर्ट में इस प्रश्न का जवाब है। दरअसल पिछले 10 सालों में भोपाल की हरियाणा जो कुल क्षेत्रफल का 35 प्रतिशत थी, घटकर 9 प्रतिशत रह गई है। पेड कट रहे हैं और निर्माण बढ़ रहे हैं। यही कारण हैं कि प्रदूषण का स्तर और गर्मी दोनों बढ़ते जा रहे हैं। 

मात्र 3 साल में 13% ग्रीन कवर खत्म कर दिया गया

हरेकृष्ण दुबोलिया की रिपोर्ट बताती है कि पांच साल में भोपाल में 2.50 लाख ऐसे पेड़ काटे जा चुके हैं, जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक थी। 95 हजार 850 पेड़ तो उन 9 स्थानों पर काटे गए हैं, जहां कोई सरकारी या व्यावसायिक निर्माण प्रोजेक्ट चल रहे हैं। थोड़ा और पीछे चलें तो बीते एक दशक में राजधानी में ग्रीन कवर 35 फीसदी से घटकर 9 फीसदी पर आ गया है। यानी दस साल में भोपाल शहर का कुल 26% ग्रीन कवर खत्म कर दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि शहर के ग्रीन कवर में 13% की गिरावट बीते 3 साल में आई है।

आलोक शर्मा के कार्यकाल में बर्बाद हुआ भोपाल

व्यापक स्तर पर पेड़ों की कटाई वाले 9 स्थानों पर 225 एकड़ ग्रीन कवर के सफाए के बाद सीमेंटीकरण हो चुका है। भोपाल में पड़ रही भीषण गर्मी का सबसे बड़ा कारण यही है, क्योंकि इसी वजह से यहां औसत तापमान 5 से 7 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। शहर के पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान 5 साल यानी 2014 से 2019 के बीच हुआ है। इसी समय लगभग 60% पेड़ काटे गए। जबकि 40% पेड़ों की कटाई 2009 से 2013 के बीच हुई है।

हरियाली 26% घटी, आबादी 5 लाख बढ़ गई

डिकेडल डीफॉरेस्टेशन ऑफ भोपाल सिटी 2009 से 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल में एक दशक में 26% ग्रीन कवर घट गया, जबकि शहर के संसाधनों पर पांच लाख नई आबादी का बोझ बढ़ा है।

सरकारी प्रोजेक्ट के लिए जमीन से पेड़ काटे, कागजों में लगा दिए

राजधानी में कुछ सालों में तमाम सरकारी प्रोजेक्ट के लिए बड़े स्तर पर पेड़ों की कटाई की गई है, लेकिन इसकी भरपाई के लिए सिर्फ कागजी खानापूर्ति हुई। पेड़ों की कटाई से पहले ली जाने वाली मंजूरी में भी पेड़ों की संख्या आधी से कम या एक चौथाई ही दर्शाई जाती रही है।
Tags

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !