नई दिल्ली। बैंक अपना पैसा वसूलने के लिए अक्सर अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं परंतु यदि उपभोक्ता जागरुक हो तो बैंक की हरकतों पर लगाम कसी जा सकती है। पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले की रहने वाली मनिका सरकार ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया। जबकि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है।
महिला मनिका सरकार के पति सेना में थे। पति की मौत के बाद उनकाे पेंशन मिलती थी और उनका अपने बेटे सुमन कल्याण सरकार के साथ STATE BANK की करीमपुर ब्रांच में ज्वाइंट अकाउंट था। मनिका का बेटा भी इसी बैंक में काम करता था, लेकिन किसी फ्रॉड के आरोप के बाद बैंक ने उसका अकाउंट फ्रीज कर दिया। इससे मनिका की पेंशन निकालने पर रोक लग गई। मनिका ने बैंक से आग्रह किया कि उसे इस अकाउंट से उसकी पेंशन निकालने की अनुमति दी जाए, क्योंकि उसके पास पेंशन के अलावा कोई भी आय का साधन नहीं है। बैंक ने इससे इनकार कर दिया।
मजबूर होकर मनिका ने दिनाजपुर के जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की। उन्होंने आरोप लगाया कि पेंशन अकाउंट बंद होने से उनके सामने दो जून की रोटी का संकट पैदा हो गया है अौर बेटे के अपराध की वजह से उनको पेंशन के उनके हक से वंचित नहीं किया जा सकता। उन्होंने फोरम से आग्रह किया कि उनके ज्वाइंट अकाउंट से उन्हें सिर्फ पेंशन की राशि निकालने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा उन्होंने बैंक पर सेवाओं में कमी का भी आरोप लगाया गया।
बैंक ने अपने लिख्रित जवाब में कहा कि यह शिकायत स्वीकार करने योग्य नहीं है। शिकायतकर्ता उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 के तहत एक उपभोक्ता नहीं है। इसलिए उनके पास शिकायत करने का कोई अधिकार ही नहीं है। जिस बैंक अकाउंट को लेकर सवाल उठाया गया है वह पेंशन अकाउंट ही नहीं है। यह एक ज्वाइंट अकाउंट है, जो सुमन कल्याण सरकार के नाम पर है। सुमन शिकायतकर्ता का पुत्र है और उनके बैंक का कर्मचारी है। उसके खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है। नादिया के सेशन जज की अदालत में गड़बड़ी की धाराओं 420 व 409 के तहत चल रहे इस मामले में सुमन को जमानत भी नहीं मिली है। मनिका सरकार के आग्रह पर ही उसकी पेंशन इस ज्वाइंट खाते में जमा हो रही है। क्योंकि, यह पेंशन खाता नहीं है, इसलिए उससे किसी तरह के लेन-देन की अनुमति नहीं दी जा सकती।
जिला उपभोक्ता फोरम ने 24 अप्रैल 2018 को दिए आदेश में कहा कि यह मनिका एक पेंशनभोगी है और उसकी पेंशन ज्वाइंट अकाउंट में आती है। बैंक ने पेंशन की राशि को रोक लिया और पेंशन संबंधित व्यक्ति की आजीविका के लिए होती है, जिसे किसी के भी द्वारा रोका या जब्त नहीं किया जा सकता। इसलिए बैंक मनिका को इस अकाउंट से सिर्फ पेंशन की जमा होने वाली राशि निकालने दे। वह अन्य कोई भी राशि इससे नहीं निकाल सकेंगी। फोरम ने इसके लिए बैंक पर किसी तरह खर्च तय नहीं किया।
इस आदेश को बैंक ने पश्चिम बंगाल के राज्य उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी। राज्य आयोग ने 18 सितंबर 2018 को बैंक की अपील को खारिज कर दिया और जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश में किसी भी तरह का बदलाव करने से इनकार कर दिया। इसके बाद बैंक ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपील कर इस आदेश का चुनौती दी। आयोग के अध्यक्ष अनूप के ठाकुर ने 29 जनवरी 2019 को दिए आदेश में कहा कि उन्होंने राज्य आयोग और जिला फोरम के आदेशों के साथ ही बैंक के वकील के तर्कों को ध्यान से सुना है। मनिका एक सैनिक की विधवा है और पेंशन उसकी जरूरत है।
पेशन को रोकना गलत
किसी भी हालात में पेंशन को रोका नहीं जा सकता और यह उसकी आजीविका है। अगर यह राशि नहीं निकाली गई तो पंेशनभोगी को गंभीर नुकसान हो सकता है। इसके अलावा बैंक भी कह चुका है कि पेंशन अकाउंट को जब्त करने की उनकी कोई मंशा नहीं है। साथ ही बेटे पर आरोपों की वजह से मां को कष्ट नहीं दिया जा सकता। यह संयोग है कि उसकी पेंशन एक ज्वाइंट अकाउंट में आती है। बैंक में ज्वाइंट अकाउंट होने की वजह से वह बैंक की उपभोक्ता हैं। आयोग ने इसके साथ ही पहले के आदेश में किसी तरह का फेरबदल करने से इनकार कर दिया और बैंक की अपील को खारिज कर दिया।