भोपाल। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा (MPPSC EXAM) पास करके नियुक्ति का इंतजार कर रहे 2800 सहायक प्राध्यापकों ने बीते रोज भोपाल में प्रदर्शन किया एवं नियुक्ति की मांग की। सरकार की तरफ से मंत्री पीसी शर्मा प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और हर संभव मदद का आश्वासन दिया परंतु अब खबर आ रही है कि सरकार का यह आश्वासन, केवल प्रदर्शनकारियों का सम्मान बनाए रखने का उपक्रम मात्र था। इस दिशा में सरकार कोई ठोस कदम उठाने की तैयारी नहीं कर रही है।
सहायक प्राध्यापक मामले में सरकार का रुख क्या है
सरकार का तर्क है कि यह मामला कोर्ट में है। जब तक कोर्ट से निर्णय नहीं हो जाता, तब तक इस पर कुछ नहीं कह सकते। उधर, चयनित उम्मीदवारों का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर नियुक्ति के मसले के निराकरण में देरी की है। यही वजह है कि चार महीने तक सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कोई जवाब पेश नहीं किया गया। इसी वजह से हाईकोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया पर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए।
516 कॉलेजों में 5 हजार पद खाली, 130 कॉलेज फैकल्टी के बिना ही संचालित
तीन दशकों से असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती नहीं होेने से प्रदेश के 516 सरकारी कॉलेजों में 5 हजार शैक्षणिक पद रिक्त पड़े हैं। नियमित फैकल्टी नहीं होने के चलते यूजीसी और रुसा के माध्यम से मिलने वाली मदद पर भी रोक लगी हुई है। उधर बीते पांच साल में प्रदेश में खुले नए 130 कॉलेजों में नियमित फैकल्टी के बिना ही संचालित हो रहे हैं।
हाईकोर्ट ने दिए थे नए सत्र से पहले भर्ती के आदेश
नरेश सिंह चौहान विरुद्ध स्टेट ऑफ मप्र के केस में ग्वालियर हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने सरकार को अकादमिक सत्र 2018-19 के शुरू होने के पहले इन सभी पदों को नियुक्ति कर लेने के लिए कहा था। इसी के चलते सरकार ने दिसम्बर 2017 में असिस्टेंट प्रोफेसर चयन परीक्षा का जारी किया गया था। 23 से ज्यादा संधोधन के बाद पीएससी ने जून-जुलाई में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कर अगस्त में चयन-सूची भी जारी कर दी थी। सितम्बर में दस्तावेजों का सत्यापन भी हो गया था।