भोपाल। कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। बसपा चीफ मायावती की सोनिया गांधी से मुलाकात की खबरों का बसपा ने खंडन कर दिया है। इसके साथ ही इस बात की संभावनाएं बढ़ गईं हैं कि मध्यप्रदेश में बसपा, कमलनाथ सरकार को समर्थन देती रहेगी। बसपा के यहां 2 विधायक हैं।
मायावती, सोनिया गांधी से नहीं मिलेंगी
लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल आने के बाद मायावती और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन, बसपा ने स्पष्ट किया है कि पार्टी सुप्रीमो राहुल गांधी और सोनिया गांधी से नहीं मिल रही हैं। इससे पहले खबरें आ रही थीं कि मायावती कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर आगे कि रणनीति पर चर्चा करेंगी। अब बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने मीडिया से साफ कहा है कि मायावती जी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नहीं मिलने वाली हैं। वह आज (20 मई) लखनऊ में ही रहेंगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण नाराज हैं मायावती
मायावती की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना से बसपा के लोकसभा उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह राजपूत को चुनाव प्रचार के बीच अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था। इस तरह बसपा चुनाव में शामिल तो थी परंतु उम्मीदवार नहीं था। बसपा सुप्रीमो ने इस पर बेहद तल्ख टिप्पणी की थी। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि इस घटना का जवाब दिया जाएगा।
बसपा गई तो सपा भी चली जाएगी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को कुल 114 सीटें मिली हैं। बसपा को दो और सपा को एक सीटें मिली थीं। इन्हीं के समर्थन के कारण कमलनाथ सरकार बनी लेकिन कमलनाथ ने किसी भी विधायक को मंत्रीपद नहीं दिया। अब बात बदल गई है। यदि मायावती ने सौदेबाजी में रुचि नहीं ली तो सरकार संकट में है। यदि बसपा ने समर्थन वापस लिया तो सपा भी वापस ले लेगी क्योंकि यूपी में बसपा और सपा एक हो चुकीं हैं।
क्या कमलनाथ का मैनेजमेंट काम करेगा
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कमलनाथ का मैनेजमेंट काम करेगा। वैसे कमलनाथ को कांग्रेस में इसी तरह के मैनेजमेंट के कारण महत्व मिलता रहा है परंतु विधानसभा चुनाव में कमलनाथ की तमाम कोशिशों के बावजूद मायावती ने चुनाव पूर्व गठबंधन करने से इंकार कर दिया था। कांग्रेस में 8 विधायक कमलनाथ से नाराज हैं। इनमें से 4 पार्टी भी बदल सकते हैं।