भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सीएम कमलनाथ का याराना कौन नहीं जानता। लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह ने कांग्रेस की बिल्कुल वैसी ही मदद की थी जैसी की मणिशंकर अय्यर भाजपा के लिए किया करते थे। अब जब नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने फ्लोर टेस्ट की चुनौती पेश की तो शिवराज सिंह ने इस चाल को भी फेल कर दिया।
सीएम कमलनाथ के सामने फ्लोर टेस्ट की चुनौती आने के 3 दिन बाद बुधवार को शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वो फ्लोर टेस्ट के पक्ष में नहीं है। 2006 से लेकर 2014 तक कांग्रेस नेताओं को घर से बुलाकर टिकट और मंत्री पद देने वाले शिवराज सिंह का कहना है कि हम तोड़फोड़ में भरोसा नहीं करते। ये सरकार अपने आप ही गिर जाएगी।
भाजपा की गुटबाजी कमलनाथ को बचा रही है
दरअसल, भाजपा की गुटबाजी कमलनाथ सरकार को लगातार बचा रही है। 109 विधायक होने के बावजूद भाजपा के रणनीतिकार बहुमत का जादूई आंकड़ा 116 तक पहुंचने की जुगत लगा ही रहे थे कि शिवराज सिंह ने बयान जारी करके हार स्वीकार कर ली। नेता प्रतिपक्ष के चयन में रोड़े अटकाए। कैलाश विजयर्गीय और नरोत्तम मिश्रा एक्टिव हुए तो दोनों को यूटर्न लेने के लिए मजबूर कर दिया। लोकसभा चुनाव में कुछ इस तरह के बयान दिए कि कांग्रेस को फायदा पहुंचे और अब जबकि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर फ्लोर टेस्ट के पक्ष में हैं तो उनके इस अभियान की हवा निकाल दी।
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