नई दिल्ली। गुजरात उच्च न्यायालय ने सरकार को उन कर्मचारियों को नियमित सरकारी कर्मचारियों की तरह सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है जिन्हे अलग-अलग पदनामों से अस्थाई तौर पर नियुक्त किया गया है। इन कर्मचारियों को फिक्स-पे, कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी, संविदा कर्मचारी इत्यादि कई नामों से बुलाया जाता है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुजरात सरकार अब संविदा, ठेका या किसी भी प्रकार से सेवा में लिए गए अस्थाई कर्मचारियों एकतरफा कार्रवाई करते हुए नौकरी से हटा नहीं सकती है। अगर किसी मामले में आरोपित होने के कारण कर्मचारी को हटाना जरूरी है, तो पहले विभाग में जांच-पडताल होगी। उसके बाद अगर कर्मचारी दोषी साबित होता है तो उनको हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार होगी जैसी की नियमित कर्मचारी को बर्खास्त करने के लिए अपनाई जाती है। यानी सरकार कर्मचारियों को दोषी साबित होने तक नौकरी से नहीं हटा सकती।
हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार को एक आदेश में कहा, ''लाखों कर्मचारी, जिन्हें निश्चित वेतन या संविदा नियुक्ति मिली है, उनके पास अब वही कानून होंगे जो सरकारी नौकरियों में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों के होते हैं।'' अभी तक ऐसा होता था कि, संबंधित विभागीय अधिकारी इस तरह के अस्थाई कर्मचारियों को बिना नोटिस या कार्यवाही हटा देती थी।