एक देश-एक चुनाव तो चुनाव कर्मचारियों का मानदेय अलग-अलग क्यों | EMPLOYEE NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। पूरे देश की 543 लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में चुनाव में संलग्न कर्मचारियों अधिकारियों को हर राज्य में अलग-अलग व विधानसभा चुनाव से भी कम मानदेय का भुगतान राज्य स्तर पर खुला शोषण है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि वित्त विभाग भारत सरकार व निर्वाचन आयोग इसकी समीक्षात्मक हस्तक्षेप कर  इस विसंगति को दूर करें। 

सभी सांसदों को समान वेतन भत्ते तो दिये जाते है पर लोकसभा चुनाव में संलग्न अमले को मतदान समाप्त होते ही देशभर में एक समान मानदेय भुगतान नहीं दिया जाता है इससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं । इसके लिये राज्यों को स्पष्ट निर्देश व विशेष बजट आबंटित किया जावे। राज्यों में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी व वित्त विभाग में तालमेल का खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। राज्यों के वित्त विभाग वांछित बजट में अनावश्यक कटौती करते है इसकी आड़ में चुनाव में संलग्न अमले का खुला शोषण होता है। 

मतदान दलों के अलावा चुनाव कार्य में संलग्न अमले को जिसमें मास्टर ट्रेनर, सामग्री वितरण-वापसी व अन्य कार्यो में संलग्न अधिकारियों कर्मचारियों को  भी शोषण का सामना करना पड़ता है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ मांग करता है कि सभी को सम्मान जनक एकरूप मानदेय भुगतान की व्यवस्था निर्वाचन आयोग व वित्त विभाग में तालमेल हो व राष्ट्रीय स्तर से पर्याप्त बजट आबंटित कर निर्वाचन आयोग की निगरानी व हस्तक्षेप से की जावे।

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