भोपाल। लोकसेवा गारंटी योजना के तहत 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम को जाति प्रमाणपत्र बनाकर देना होता है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जुर्माने से बचने के लिए अफसर तय समय सीमा से पहले ही जाति प्रमाण पत्र के आवेदनों को खारिज कर रहे हैं। खारिज करने के लिए वो बेतुकी आपत्तियां लगा रहे हैं। इसके चलते आवेदकों को एसडीएम दफ्तरों के चक्कर लगाना पड़ रहा है।
केस 1: बंद हो चुके स्कूल का सर्टिफिकेट मांगा
प्रेम नारायण श्रीवास ने कलेक्टोरेट स्थित लोक सेवा केंद्र में अपने दो बच्चों का जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए एक महीने पहले आवेदन किया था। ओबीसी का जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए उन्होंने 1984 के दस्तावेज भी जमा किए थे, लेकिन एसडीएम ने अंतिम समय में आवेदक को जाति प्रमाणपत्र के वेरिफिकेशन के लिए स्कूल का सर्टिफिकेट मांगा। इस पर आवेदक ने कहा कि जिस स्कूल में उन्होंने दसवीं कक्षा की पढ़ाई की थी, वो बंद हो चुका है इसलिए समाज के अध्यक्ष का सर्टिफिकेट पेश कर रहे हैं लेकिन एसडीएम ने आवेदक उनकी बात को सुने बिना ही आवेदन खारिज कर दिया।
केस 2: जहां से पिता का बना था वहीं से बच्चों का भी बनवाओ
छोला क्षेत्र में रहने वाले मनोज राठौर ने अपने दो बच्चों के जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए लोकसेवा केंद्र में आवेदन किया था। यहां से आवेदन गोविंदपुरा एसडीएम दफ्तर में ट्रांसफर हुआ। यहां पर एसडीएम ने यह फाइल हुजूर एसडीएम दफ्तर में यह कहते हुए ट्रांसफर कर दी कि पिता का जाति प्रमाण पत्र हुजूर तहसील से बना था, इसलिए बच्चों का भी वहीं से बनेगा। एसडीएम हुजूर ने दोबारा गोविंदपुरा एसडीएम दफ्तर में ट्रांसफर की और बोले कि चूंकि पहले एक ही तहसील थी इसलिए यहां से जाति प्रमाणपत्र बनाए जाते थे। बाद में सरकार ने सभी एसडीएम को उनके क्षेत्र के लोगों के जाति प्रमाणपत्र बनाने के अधिकार दे दिए। राठौर ने बताया कि सारे दस्तावेज होने के बाद प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानी हो रही है।
नियम क्या हैं
लोक सेवा केंद्र कलेक्टोरेट के मैनेजर प्रसून सोनी के मुताबिक जाति प्रमाणपत्र के लिए एसटी के 1950 में बने और ओबीसी के 1984 के नियमों को देखना जरूरी है। यानी नोटिफिकेशन के समय आवेदक का परिवार कहां रहता था, उसी आधार पर जाति प्रमाणपत्र बनाए जाएंगे। पहले प्रमाण-पत्र बनने में 6 माह लग जाते थे। नए नियमों में एक माह के अंदर जाति प्रमाणपत्र बनाकर देना जरूरी है। एसडीए की रिपोर्ट के आधार पर डिजिटल जाति प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं।
पुराने जाति प्रमाण पत्र 3 दिन में डिजिटल करवाएं
अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के पुराने जाति प्रमाणपत्रों को डिजिटल करने का काम शुरू हो गया है। इसके तहत आवेदक पुराना जाति प्रमाणपत्र और आधार कार्ड की फोटो कापी किसी भी लोक सेवा केंद्र में जमा कर सकता है। इसके लिए कोई भी फीस नहीं ली जाएगी। तीन दिन में आवेदक को प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
जाति प्रमाणपत्र का वेरीफिकेशन आनलाइन कर सकते हैं
आवेदक लोकसेवा केंद्र के माध्यम से बनाए गए जाति प्रमाणपत्र का वेरीफिकेशन mpedistrict.gov.in वेबसाइड पर भी कर सकता है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन नंबर डालना पड़ेगा, इससे आवेदक को इसकी स्थिति पता चल जाएगी।
यहां कर सकते हैं शिकायत...
जाति प्रमाणपत्र बनवाने के नाम पर कोई पैसे की मांग करता है तो कलेक्टर के टेलीफोन नंबर- 0755-2546733, एडीएम नार्थ 0755- 2540822, एडीएम साउथ 0755-2540822 के नंबरों पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।