ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकलपीठ से अशोकनगर के कांग्रेस विधायक जयपाल सिंह जज्जी की याचिका का यह कहते हुए निस्तारण कर दिया कि एमपी हाई लेवल कास्ट सिक्योरिटी कमेटी इस मामले की फिर से जांच करे और विधायक को अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान करे। इससे पहले कमेटी ने तहत जयपाल सिंह का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि हाई लेवल कमेटी मामले की फिर से सुनवाई करे और याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने के लिए पूरा मौका दे। साथ ही जांच के लिए 10 बिंदु भी निर्धारित कर दिए हैं। जयपाल सिंह जज्जी को 8 नवंबर 2008 को अशोकनगर के अनुभागीय अधिकारी ने नट जाति का प्रमाण पत्र दिया था। उनके इस जाति प्रमाण पत्र की शिकायत छानबीन समिति के पास की गई। शिकायत में तर्क दिया गया कि वह अनुसूचित जाति के अंतर्गत नहीं आता है। फर्जी तरीके से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त किया है।
इस शिकायत के बाद शासन ने मामले की जांच की और वर्ष 2013 में जयपाल सिंह का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया। जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद जयपाल सिंह ने वर्ष 2013 में याचिका दायर की। जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के आदेश पर कोर्ट ने स्टे दे दिया था।
हाईकोर्ट में 25 अप्रैल 2019 को याचिका पर फाइनल बहस हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एसएस गौतम ने तर्क दिया कि शासन ने सुनवाई का मौका नहीं दिया है। नोटिस के बाद पक्ष रखने के लिए 30 दिन का वक्त दिया जाता है, लेकिन 5 व 7 का ही समय दिया गया।
राजनीतिक दबाव में याचिकाकर्ता का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया गया है। प्रोसेडिंग में काफी कांटछांट है, जिसमें साफ दिख रहा है कि गलत कार्रवाई की गई है और अधिकारी दबाव में आकर उसकी जाति खत्म करना चाहते हैं। जिस कमेटी के समक्ष जाति प्रमाण पत्र की सुनवाई की गई थी, उस कमेटी में चार सदस्य थे।
जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने वाले फैसले पर तीन सदस्यों के हस्ताक्षर थे। कमेटी के सदस्य व जाति विशेषज्ञ जीबी पटेल के हस्ताक्षर नहीं थे। फैसला लेने वाली कमेटी का कोरम पूरा नहीं था। न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने के फैसले को निरस्त कर दिया।
इन बिंदुओं पर करनी होगी जांच
- क्या जयपाल सिंह ने मंडी सदस्य का चुनाव सामान्य सीट पर लड़ा था। फार्म भरते वक्त जाति प्रमाण पत्र लगा था।
- क्या जनपद पंचायत सदस्य का चुनाव अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र पर लड़ा था।
- हाई लेवल कमेटी कोर्ट के आदेश के प्रभाव में न आए। स्वतंत्र रूप से फैसला ले सकती है।