नई दिल्ली। खाने की चीजें एल्युमिनियम फॉयल(Aluminum Foil) प्लास्टिक या प्लास्टिक के डब्बों में पैक करना एक तरह से हमारी आदत बन चुकी है। कुछ हद तक तो ये ट्रेंड बन चुका है मगर किसी चीज के फायदे नुकसान जाने बगैर उसका आदी बनना आपको भारी पड़ सकता है। एल्युमिनियम फॉयल में खाना रखने से गंभीर स्वास्थ्य नुकसान (Health loss) हो सकते हैं।
न्यूट्रिशन और एक्सरसाइज साइंस एक्सपर्ट (Nutrition and Exercise Science Expert) रुजुता दिवेकर (Rujuta Divekar) ने अपने फेसबुक वीडियो में इस विषय में काफी कुछ बताया है। प्लास्टिक की बजाए स्टील, मिट्टी, कांसे या तांबे की बोतल (Clay, bronzed or copper bottle) यूज करने को कहती हैं। खाना काफी मेहनत से बनता है साथ ही घर का खाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है। ऐसे में आप बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि उसे ऐसी चीजों में पैक किया जाए, जो किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाती हों।
जब खाने की चीजें उस मटैरियल के संपर्क में आती हैं। जिसमें उन्हें पैक किया जाता है, तो उस मटैरियल की क्वालिटी खाने में आने लगती है। खासकर तब, जब हम गर्म खाना (Hot food) पैक करते हैं। लेकिन जब हम खाने की चीजें प्लास्टिक या एल्यूमिनियम फॉयल में पैक करते हैं, तो नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल खाने में मिल जाते हैं। प्लास्टिक से जीनो एस्ट्रोजन नाम के खतरनाक रसायन निकलते हैं, जिससे हार्मोनल गड़बड़ी होती है। खासकर बच्चों के ग्रोथ में बाधा आती है।
हालांकि, आप सोचेंगे कि प्लास्टिक की कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हे हम बचपन से इस्तेमाल करते आ रहे हैं जैसे कि टिफिन बोतल और किचन में इस्तेमाल होने वाले बाकि बर्तन लेकिन आपको बता दें सुरक्षित प्लास्टिक जैसी कोई चीज नहीं होती। इतना ही नहीं, फूड पैकेजिंग के लिए भी प्लास्टिक का इस्तेमाल सीधा आपको मुकसान पहुंचाता है।
आज हर किचन में एल्युमीनियम फॉयल मिल जाएगी और लोग बड़े चाव से इसका इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, विशेषज्ञ इसका इस्तेमाल ना करने की सलाह देते हैं। एल्युमिनियम फॉयल से खाने में एल्युमिनियम आ जाता है, जो शरीर में पहुंच कर जिंक को रिप्लेस करने लगता है। जबकि इंसुलिन फंक्शन के लिए जिंक बेहद जरूरी होता है।
कई स्टडी में बताया जा चुका है कि हाई एल्युमिनियम इनटेक अल्जाइमर की वजह बन सकता है। रोजाना एल्युमिनियम फॉयल के इस्तेमाल से ब्रेन सेल्स की ग्रोथ रेट घटती है। एल्युमिनियम फॉयल में कुकिंग से आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक डैमेज हो सकता है।