भोपाल। जैसी की उम्मीद थी, एक बार फिर भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट पर कमजोर कैंडिडेट उतारकर कमलनाथ को फायदा पहुंचा दिया है। भाजपा ने यहां से पूर्व विधायक नत्थन शाह को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है। छिंदवाड़ा की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि इस नाम की घोषणा के साथ ही चुनाव इकतरफा हो गया है। अब नकुल नाथ के सामने कोई चुनौती शेष नहीं।
मनमोहन शाह बट्टी में दम थी, लेकिन भितरघात हो गया
छिंदवाड़ा के जानकारों का कहना है कि भाजपा की शुरूआती रणनीति काफी अच्छी थी। यह माना जा रहा था कि इस बार भाजपा यहां गंभीरता से चुनाव लड़ेगी। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक मनमोहन शाह बट्टी का नाम काफी वजनदार था। सबसे अच्छी बात यह थी कि वो जुझारू नेता हैं और किसी लालच या दवाब में आने की उम्मीद नहीं थी। मनमोहन शाह बट्टी के नाम पर वोटों का समीकरण भी काफी अच्छा बन रहा था परंतु भाजपा के कुछ नेताओं ने मनमोहन शाह बट्टी के नाम का विरोध किया और जरा से विरोध पर टिकट काट दिया गया। जानकारों का कहना है कि यह सबकुछ मैच फिक्सिंग जैसा है, छिंदवाड़ा को इसकी आदत पड़ गई है।
पब्लिक नकुल नाथ को स्वीकार नहीं कर रही थी
बताया जा रहा है कि जब से कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने, छिंदवाड़ा की जनता अपने लिए एक ऐसे सांसद का इंतजार कर रही थी, जिससे लोग खुलकर सवाल कर सकें और परेशानी होने पर हाथ पकड़कर अपने साथ ले जा सकें। नकुल नाथ का नाम सामने आने के बाद जनता में निराशा थी। वो कमलनाथ की तरह नकुल नाथ को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। युवा वोटर्स के पास ढेर सारे सवाल थे और वो नकुल नाथ को अपना नेता स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। परंतु अब उनके पास कोई विकल्प ही नहीं बचा।