मण्डला। मण्डला जिला सूखे की कगार पर पहुंच चुका है। यहां जमीन के नीचे और उपलब्ध जल स्त्रोतों में पानी की मात्रा संकट की स्थिति तक आ पहुंची है। कलेक्टर जगदीश चन्द्र जटिया ने जिले को 'जल अभावग्रस्त' घोषित कर दिया है। इसी के साथ मंडला जिले में कार बाईक की धुलाई से लेकर भवन निर्माण तक में पानी का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब मंडला में पानी का उपयोग केवल पेयजल के लिए किया जा सकेगा।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी डॉ. जगदीश चन्द्र जटिया ने जिले में औसत से कम वर्षा होने के मददेनजर जल के मितव्ययितापूर्ण उपयोग करने के उददेश्य एवं नलकूपों के खनन पर प्रतिबंध लगाते हुए जिले को जल अभावग्रस्त घोषित कर दिया है। उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 के अंतर्गत जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किया गया है। इस अधिनियम के लागू हो जाने से कोई भी व्यक्ति पेयजल श्रोत का उपयोग सिंचाई साधन एवं व्यावसायिक उपयोग में कलेक्टर की अनुमति के बिना नहीं कर सकेगा।
डॉ. जटिया ने बताया कि शासकीय विभागों द्वारा खनिज नलकूपों को छोड़कर शेष सभी प्रकार के नलकूपों का खनन प्रतिबंधित रहेगा। विशेष परिस्थितियों में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की लिखित अनुमति के पश्चात ही नलकूप खनन किया जा सकेगा। आदेश के उल्लंघन पर वैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी।