NATIONAL NEWS / मंत्री लिखीराम कांवरे हत्याकांड: 20 साल बाद फिर रहस्य बरकरार, सभी आरोपी बरी, हत्यारे अज्ञात

जबलपुर। 16 दिसंबर 1999 को दिग्विजय सिंह सरकार के परिवहन मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड की आवाज देश के हर कौने में सुनाई दी थी। बताया गया था कि नक्सलवादियों ने मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या की है। मप्र पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार कर बताया था कि यही वो नक्सली हैं जिन्होंने मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या की। मामले की सीबीआई जांच भी हुई। निचली अदालत ने सभी को उम्रकैद की सजा दी परंतु हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रही है। सवाल यह है कि यदि इन 7 आरोपियों ने मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या नहीं की थी तो हत्यारा कौन है और क्या अब भी खुला घूम रहा है। 

मप्र पुलिस ने मदनलाल बरकड़े, संतोष रुकमा बाई, भैया लाल सिंह, चेतराम गांव और माखन गौड़ को आरोपी बनाया गया था। इनमें से माखन गौड़ तो उम्र कैद की सजा भी काट चुके हैं। निचली अदालत ने सभी को उम्रकैद की सजा दी थी परंतु हाईकोर्ट में सीबीआई उचित प्रकार से साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। मप्र पुलिस का आरोप था कि यह लोग नक्सली हैं। इन्हीं ने 16 दिसंबर 1999 को बालाघाट में पूर्व परिवहन मंत्री लखीराम कांवरे की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इस मामले की सीबीआई जांच हुई, पुलिस ने इन 7 लोगों को एक मंदिर के पास से गिरफ्तार कर लिया था। निचली अदालत ने परिस्थिति जन्य साक्ष्यों के आधार पर इन सातों आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन सीबीआई ने जो साक्ष्य पेश किए थे वे आपस में जुड़ नहीं रहे थे।

इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपील लगाई गई थी जिसकी सुनवाई के बाद इन सातों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया है। बता दें, लखीराम कांवरे विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कावरे के पिता थे और नक्सलियों ने बड़े ही निर्मम तरीके से उनकी हत्या की थी। अब सवाल यह खड़ा होता है कि यदि इन लोगों ने हत्या नहीं की थी तो फिर पूर्व मंत्री के हत्यारे कौन थे क्या वे अभी तक बिना सजा पाए खुले आसमान में घूम रहे हैं।

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