MR ने खुद को जिंदा जलाया, छत से कूदा, अस्पताल ने इलाज नहीं किया, मौत | INDORE MP NEWS

इंदौर। एलआईजी कॉलोनी के ई सेक्टर में शनिवार रात मेडिकल कंपनी में मार्केटिंग करने वाले युवक ने आत्महत्या की कोशिश की। इस पूरे घटनाक्रम में जिस तरह तड़प-तड़पकर उसकी जान निकली, सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए। पहले उसने खुद को जिंदा जलाया, पड़ौसी जमा हुए तो खुद ही दरवाजा भी खोला, 80 प्रतिशत जल चुका था। दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो भागते हुए दूसरी मंजिल की छत पर गया। 4 लोगों ने पकड़ा लेकिन छूटकर छत से कूद गया। गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस आई तो खुद चलकर पुलिस की जीप में बैठ गया। पुलिस उसे सीएचएल अस्पताल ले गई, बस यही गलती हो गई। अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद उसे अरविंदो अस्पताल ले जाया गया, यहां से चौइथराम अस्पताल ले गए जहां उसकी मौत हुई। 

एमआईजी पुलिस के मुताबिक, घटना शनिवार रात करीब 8 बजे ई-76 में थधाराम नोतवानी के मकान में हुई। थानेदार सुरेंद्र सिंह ने बताया कि मृतक कपीश (27) पिता वासुदेव खोपचंदानी निवासी मुंबई है। वह रिश्तेदार सुनील के साथ उनकी कंपनी के प्रोजेक्ट में काम करने आया था। पहले वह आनंद बाजार इलाके में किराए से रहता था। 26 दिसंबर 2018 को वह एलआईजी इलाके में किराए से रहने आ गया था। दो मंजिला मकान में उसके कमरे के सामने दिव्यांदु घोष परिवार के साथ रहते हैं। घोष ने बताया कि रात करीब 7.30 बजे कपीश ऑफिस से घर आया था। करीब 8 बजे उसके कमरे से चिल्लाने की आवाज आने लगी। इस पर मकान मालिक का नाती पवन और वह भागकर उसके कमरे पर गए। दरवाजा खटखटाया तो कपीश ने जली हालत में दरवाजा खोला।

आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज

वह पूरी तरह जला हुआ था। कमरे में धुआं भरा था। वहां रखे कुछ कपड़े जल रहे थे। कपीश को पकड़कर बाहर निकाला और पैसेज (कमरे के सामने खाली पड़ी जगह) में ले आए। शोर सुनकर मकान मालिक और बाकी लोग भी आ गए। सभी ने 10-12 बाल्टी पानी डालकर आग बुझाई। इसके बाद उसे समझाने के साथ आग लगाने का कारण पूछने लगे। वह सिर्फ आत्महत्या करने की रट लगाए हुए था। बेचैनी और दर्द के कारण वह इधर-उधर घूमने लगा। अचानक कुछ देर बाद भागकर दूसरी मंजिल स्थित छत पर चला गया। सब भागकर उसके पीछे गए। इसी दौरान डायल 100 को फोन लगाकर पुलिस को हादसे की सूचना दे दी।

चार लोगों से हाथ छुड़ाकर छत से लगाई छलांग

मकान मालिक के बेटे अनिल ने बताया कि कपीश करीब 80 प्रतिशत जल गया था। आग बुझा दी थी, लेकिन दर्द से वह तड़प रहा था। पहली मंजिल से भागकर वह छत पर चला गया था। चार लोग भी उसके पीछे भागकर ऊपर पहुंचे। उसे पकड़ा और नीचे लाने का प्रयास करने लगे। इसी दौरान उसने हाथ छुड़ाया और छत से कूद गया। वह गेट पर गिरा, जिससे गेट टूट गया और उसके पैर में रॉड से चीरा लग गया। आग लगाने और छत से कूदने में करीब 10 मिनट का समय लगा होगा।

घायल हालत में उठा और पुलिस की गाड़ी में बैठ गया

नीचे कूदने से कपीश के पैर और शरीर के बाकी हिस्से से खून बहने लगा। इसी दौरान पुलिस की जीप भी आ गई। घायल होने के बावजूद कपीश उठा और पुलिस की गाड़ी में बैठ गया। पुलिसकर्मी उसे सीएचएल अस्पताल ले गए। रविवार सुबह पुलिसकर्मी कमरे की छानबीन करने आए थे। कमरे से मोबाइल जब्त कर उसे सील कर दिया है। कमरे की जांच में पता चला कि कपीश ने संभवतः थिनर छिड़ककर आग लगाई थी।

घायल तड़पता रहा, अस्पताल ने नहीं किया भर्ती

दिव्यांदु ने बताया कि पुलिस के साथ मकान मालिक सहित कई लोग अस्पताल पहुंच गए। वहां कपीश को भर्ती करने से अस्पताल प्रबंधन ने मना कर दिया। इस पर वहां 25 मिनट तक विवाद होता रहा। इस दौरान कपीश स्ट्रेचर पर पड़ा कराहता रहा। अस्पताल परिसर में तीन-तीन एम्बुलेंस खड़ी थी लेकिन कोई भी दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं था। अस्पताल प्रबंधन के सामने मकान मालिक के बेटे अनिल ने दो लाख रुपए रखकर इलाज करने को कहा। इसके बाद भी उन्होंने मना कर दिया। आखिरकार पुलिस के हस्तक्षेप के बाद एम्बुलेंस के जरिए उसे एमवायएच पहुंचाया गया। करीब आधे घंटे चले इलाज के बाद उसे अरबिंदो अस्पताल ले गए। यहां से रात करीब 1 बजे चोइथराम शिफ्ट कर दिया गया। रात करीब 2 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सीएचएल अस्पताल की लापरवाही की शिकायत थाने पर की गई है।

पिता ने कहा- काम में नहीं मिल रही थी सफलता

घटना की सूचना पर कपीश के माता-पिता और भाई मुंबई से आ गए थे। रविवार को एमवायएच में पीएम कराया गया। पिता का कहना था कि शनिवार शाम करीब 5 बजे बेटे से आखिरी बार फोन पर बात हुई थी। वह अपने रिश्तेदार की कंपनी में नौकरी करता था। बेटे को मेडिकल फील्ड का अच्छा अनुभव था। इस वजह से काम करने इंदौर आया था। रिश्तेदार की कंपनी शहर में मेडिकल स्टोर खुलवाने और इक्यूपमेंट बेचने का काम करती है। बेटा अक्सर फोन पर कहता था कि वह दिनभर मेहनत करता है लेकिन मेहनत के मुताबिक उसे सफलता नहीं मिल रही है। वह मेडिकल स्टोर खुलवा पाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहा है। इस बात का तनाव उसकी बातों से झलकता था। संभवतः इसी अवसाद में उसने उक्त कदम उठाया होगा।

नंगे पैर खजराना और काली माता मंदिर जाता था

अनिल ने बताया कि कपीश ऑफिस जाने के पहले प्रतिदिन नंगे पैर खजराना गणेश और काली माता मंदिर दर्शन करने जाता था। सुबह ऑफिस जाते और लौटते समय राम-राम करता था। किसी से ज्यादा मतलब नहीं रखता था। ऑफिस से आने के बाद अपने कमरे में रहता था। उसके कमरे में रहने आने के 15 दिन बाद माता-पिता आए थे। कुछ दिन वे साथ रहकर गए। कपीश के पिता का मेडिकल स्टोर है। बड़ा भाई विजय मुंबई में नौकरी करता है। पीएम के बाद परिजन शव लेकर मुंबई चले गए।

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