इंदौर। इंदौर लोकसभ सीट से लगातार 8 चुनाव जीतती आ रहीं सुमित्रा महाजन का टिकट कट गया है। अमित शाह की वालेंट्री रिटायरमेंट स्कीम के तहत लाल कृष्ण आडवणी के साथ अटल-आडवाणी युग के दर्जनों नेताओं को रिटायर कर दिया गया है। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि फार्मूला 75 के तहत उन्हे टिकट नहीं दिया जा सकता। भोपाल समाचार लगातार इसकी जानकारी दे रहा है और भाजपा की पहली लिस्ट में यह प्रमाणित भी हो गया। अब विवाद सुमित्रा महाजन के उत्तराधिकार पर है। सुमित्रा महाजन चाहतीं हैं कि उनके बेटे मंदार महाजन को टिकट दिया जाए जबकि कैलाश विजयवर्गीय ने खुद दावा ठोक दिया है।
भाजपा ने अपनी पहली लिस्ट में पांच सांसदों के टिकट काटे हैं। इनमें से मुरैना से अनूप मिश्रा, भिंड से भागीरथ प्रसाद, उज्जैन से चिंतामण मालवीय, शहडोल से ज्ञान सिंह और बैतूल से ज्योति धुर्वे शामिल हैं। शहडोल सांसद ज्ञान सिंह एवं बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे का टिकट कटना तो तय था परंतु अनूप मिश्रा, भागीरथ प्रसाद और चिंतामण मालवीय के टिकट भी काट दिए गए। इंदौर से पैनल में सिंगल नाम था फिर भी पहली लिस्ट में सुमित्रा महाजन का नाम नहीं आया। अब यह नाम दूसरी लिस्ट में आने की संभावना भी नहीं है।
पार्टी में आधिकारिक रूप से कहा जा रहा है कि सुमित्रा महाजन स्वयं तय करेंगी कि वे चुनाव लड़ेंगी या किसी अन्य को लड़वाएंगी लेकिन इस बयान से राजनीति में उठा बवंडर थमने की स्थिति में नहीं है। हालांकि महाजन ने इस पर कुछ नहीं कहा, लेकिन पहली सूची में उज्जैन, खंडवा जैसी सीटों के प्रत्याशी घोषित हो जाने और इंदौर का नाम रुकने के बाद कयास लगना लाजिमी है। सूत्र बोलते हैं कि सुमित्रा महाजन खुद एक और चुनाव लड़ना चाहतीं हैं परंतु यदि ऐसा नहीं हुआ तो वो अपने बेटे मंदार महाजन के लिए टिकट चाहेंगी परंतु इंदौर के धाकड़ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी लोकसभा टिकट की मांग कर दी है। देखना रोचक होगा कि ताई भाई की लड़ाई में इस बार क्या नतीजे आते हैं।