AIR STRIKE के राज छुपाने क्या हरकत कर रहा है पाकिस्तान, यहां पढ़िए

नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में चल रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पाकिस्तान ने शुरू में भारत के इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि वह मीडिया को उस जगह पर ले जाने के लिए तैयार है। मगर, स्ट्राइक के 11 दिन बीत जाने के बाद भी पाकिस्तानी अधिकारी न तो खुद मीडिया को उस जगह पर ले गए और न ही जो मीडिया​कर्मियों वहां जाना चाहते हैं उन्हें जाने दे रहे हैं।

पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारी मीडिया को उस पहाड़ी पर जाने से रोक रहे हैं, जहां पर भारतीय एयर फोर्स ने मिसाइलें दागीं थीं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की टीम को भी उस जगह पर जाने की इजाजत नहीं दी गई। पिछले 9 दिनों में तीन बार रॉयटर्स के रिपोर्टर इलाके में पहुंचे, लेकिन उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया। टीम को पहाड़ी के नीचे और मदरसे से करीब 100 मीटर की दूरी से और निचली जगह से ही भारतीय वायुसेना के हमले वाली जगह को दिखाया गया।

पत्रकारों ने जो बिल्डिंग्स देखी हैं, उसके चारों तरफ चीड़ के पेड़ हैं और ऐसे में कुछ भी स्पष्ट नहीं देखा जा सकता है। पाकिस्तान अपने हिसाब से तस्वीरें दिखाकर दावा कर रहा है कि भारत ने कोई एयर स्ट्राइक नहीं की है। मगर, बालाकोट में जिस इमारत को मदरसा बताया जा रहा है, वह आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ट्रेनिंग कैंप था। भारतीय एयरफोर्स ने इसी आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर बम बरसाए थे।

भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया था कि इस ट्रेनिंग कैंप पर की गई कार्रवाई में बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, ट्रेनर्स, सीनियर कमांडर सहित 350 से अधिक आतंकियो के मारे जाने की खबर है। हालांकि, अभी तक किसी मीडिया संस्थान को वहां जाने की इजाजत नहीं दी गई है। इसके साथ ही उस जगह पर जाने वाले रास्ते पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई है।

अधिकारी सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए पत्रकारों को जाने से रोक रहे हैं। वहीं, भारत के हवाई हमले के बाद पाकिस्तानी फौज की तरफ से कहा गया था कि वह मीडिया को उस स्थान पर ले जाएंगे, जहां भारत एयर स्ट्राइक की बात कह रहा है। लिहाजा, यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि इसमें पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। शुरुआत में भले ही पाकिस्तान ने दिखावे के लिए मीडिया को ले जाने की बात कही हो, लेकिन अब वह मीडिया को घटनास्थल पर ले जाकर सच्चाई सामने आने का जोखिम नहीं उठा सकता है।
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