12वीं टॉपर्स को BIKE का वचन देकर फंस गई सरकार | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने ताबड़तोड़ वचन दिए, लेकिन अब उन्हे पूरा करने में कमलनाथ सरकार के पसीने छूट रहे हैं। कांग्रेस ने वचन दिया था कि प्रदेश में हर जिले के हायर सेकंडरी में पढ़ने वाले टॉप 10 छात्र-छात्राओं को टू-व्हीलर दिया जाएगा। लड़कों को बाइक और लड़कियों को स्कूटर, परंतु अब सरकार के सांसें फूल रहीं हैं। खजाना खाली है, कर्ज लेकर किसान कर्जमाफी के कार्यक्रम करा लिए। अब क्या करें, वचना पूरा करें या यू-टर्न ले लें, सरकार फैसला नहीं कर पा रही है। 

हर जिले में हर विषय के टॉप 10 को टू-व्हीलर दिए जाना है
कांग्रेस के वचन-पत्र के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव तो तैयार किया लेकिन करीब 30 करोड़ की राशि के खर्च को देखते हुए शासन ने इससे अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। जल्द ही आचार संहिता लग जाने के बाद इस पर कोई फैसला भी नहीं हो पाएगा। जाहिर है, ऐसे में हायर सेकंडरी टॉपर्स को इस सत्र में टू-व्हीलर नहीं मिल पाएंगे। कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की परीक्षा में विषयवार हर जिले के प्रथम दस-दस छात्र-छात्राओं को दो पहिया देने का वचन दिया था। 

सीबीएसई टॉपर्स को भी वचन दे रखा है
इसी के साथ सीबीएसई की परीक्षा में प्रत्येक विषय के दो-दो विद्यार्थियों को भी दो पहिया वाहन देने की बात वचन पत्र में कही गई है। सरकार बनने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया। लेकिन सरकार इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं ले सकी। बताया जाता है कि वित्त विभाग के अधिकारियों ने भी इस पर सवाल उठाए थे। इसके बाद ही यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही टू-व्हीलर देने का मामला हो जाएगा पेंडिंग 
इस साल नहीं मिलेगी गाड़ी दो पहिया वाहन की कीमत लगभग Rs.60000 आएगी। करीब Rs.30 करोड़ का खर्च आ रहा है। आचार संहिता के दौरान सरकार कोई घोषणा भी नहीं कर सकेगी। इस कारण चालू शिक्षा सत्र में दो पहिया देने के आसार नहीं हैं। 

225 करोड़ की साइकिल भी बांटना है
गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे छात्र-छात्राएं जो अपने निवास से दो किमी दूर स्कूल जाते हैं-उन्हें छठवीं और नौवीं में साइकिल दी जाती है। भाजपा सरकार ने इसे लागू किया था। लेकिन, साइकिल खरीदी प्रक्रिया की शर्तों पर भी सवाल उठते रहे हैं। इस बार भी तय शर्त के आधार पर खरीदी की तैयारी है। पिछली सरकार ने यह शर्त रखी थी कि साइकिल खरीदी उसी कंपनी से की जाए। जिसका तीन साल का टर्न ओवर 200 करोड़ रुपए हो, लेकिन केवल तीन कंपनियां ही इस शर्त काे पूरा करती हैं। लगातार दो साल से ऐसा ही हो रहा है। यह सवाल उठने लगे हैं कि 200 करोड़ टर्नओवर वाली शर्त की वजह से दो-तीन बड़े साइकिल निर्माता ही शर्त पूरी कर पाते हैं। वर्तमान शर्त की वजह से ज्यादा माेल-भाव भी नहीं हो पाता। गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल करीब छह लाख छात्र-छात्राओं को साइकिल दी जाती है। एक साइकिल की कीमत 3350 रुपए तय की गई है। इस तरह से 225 करोड़ रुपए की साइकिलें हर साल बांटी जाती है। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !