वसंत पंचमी का त्यौहार कब और क्यूँ मनाते हैं, पढ़िए | RELIGIOUS NEWS

नई दिल्ली। वसन्त पंचमी का त्योहार माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है यह बसन्त ऋतु के आगमन का सूचक है। इस वर्ष यह 10 फरवरी रविवार को मनाया जाएगा। ये दिन देवी सरस्वती का जन्म दिवस भी माना जाता है। यहां तक विश्वास किया जाता है कि जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों का है और व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। फिर चाहे वे कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सभी इस दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों और यंत्रों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।

मां सरस्वती के संसार में अवतरण की कथा


कहते हैं इसी दिन मां सरस्वती ने संसार में अवतरित होकर ज्ञान का प्रकाश जगत को प्रदान किया था। तब से इस दिन बसन्तोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। इसके बारे में एक कथा है कि जब ब्रह्मा जी ने जगत की रचना की तो एक दिन वे संसार में घूमने निकले। वे जहां भी जाते लोग इधर से उधर दिखाई देते तो थे पर वे मूक भाव में ही विचरण कर रहे थे। इस प्रकार इनके इस आचरण से चारों तरफ अजीब शांति विराज रही थी। यह देखकर ब्रह्मा जी को सृष्टि में कुछ कमी महसूस हुई। वह कुछ देर तक सोच में पड़े रहे फिर कमंडल में से जल लेकर छिड़का तो एक महान ज्योतिपुंज सी एक देवी प्रकट होकर खड़ी हो गई। उनके हाथ में वीणा थी। वह महादेवी सरस्वती थीं उन्हें देखकर ब्रह्मा जी ने कहा तुम इस सृष्टि को देख रही हो यह सब चल फिर तो रहे हैं पर इनमें परस्पर संवाद करने की शक्ति नहीं है। महादेवी सरस्वती ने कहा तो मुझे क्या आज्ञा है। ब्रह्मा जी ने कहा देवी तुम इन लोगों को वीणा के माध्यम से वाणी प्रदान करो (यहां ध्यान देने योग्य है कि वीणा और वाणी में यदि मात्रा को बदल दिया जाए तो भी न एक अक्षर घटेगा न बढ़ेगा) और संसार में व्याप्त इस मूकता को दूर करो। 

ब्रह्मा की आज्ञा पाते ही महादेवी की वीणा के स्वर झंकृत हो उठे। संसार ने इन्हें विस्मित नेत्रों से देखा और उनकी ओर बढ़ते गए। तभी सरस्वती जी ने अपनी शक्ति के द्वारा उन्हें वाणी प्रदान कर दी और लोगों में विचार व्यक्त करने की इच्छाएं जागृत होने लगी और धीरे धीरे मूकता खत्‍म होने लगी। आज भी इसी महादेवी की कृपा से सारा संसार वाणी द्वारा अपनी मनोदशा व्यक्त करने मे समर्थ है। उस महादेवी वीणावादिनी मां सरस्वती को बार बार नमस्कार है जिन्होंने संसार से अज्ञानता दूर की एवं जन जन को वाणी प्रदान करने महा कार्य किया।

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