हिन्दू नववर्ष: हिंदुओं की कैबिनेट गठित, राजा और प्रधानमंत्री बदले | NATIONAL NEWS

भोपाल। हिन्दू नववर्ष का अंतिम फाल्गुन माह चल रहा है। शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा (6 अप्रैल) से नववर्ष प्रारंभ होगा। इसी दिन से शक्ति की आराधना शुरू होगी। ज्योतिष मठ संस्थान के पंचांगकार पं. विनोद गौतम ने बताया कि जिस प्रकार संसार में सरकार चलाने के लिए मंत्रिमंडल का गठन होता है, उसी प्रकार प्रतिवर्ष हिन्दू नववर्ष प्रांरभ होने के दिन आकाशीय ग्रहों का भी निर्वाचन होता है। निर्वाचित ग्रहों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस वर्ष आकाशीय मंडल के निर्वाचन में राजा (राष्ट्रपति) का पद शनि को प्राप्त हुआ है। वहीं प्रधानमंत्री सूर्य बनाए गए हैं। 

जबकि पिछले वर्ष इससे उलट राष्ट्रपति का पद सूर्य के पास और प्रधानमंत्री का पद शनि के कब्जे में रहा। सूर्य के राष्ट्रपति होने से पूरे विश्वभर में भारत की सूर्य के समान चमकी। इस वर्ष शनि के राजा होने से अखिल ब्राह्मंड के सर्वोच्च न्यायाधीश शनिदेव के राजा बनने से भारतीय को अनेक मामलों न्याय दिलाएगा। इसमें आतंकीय मामलों के अलावा धार्मिक, सामाजिक मामलों की समरसता विश्वभर में बढ़ेगी। राजा शनि के पास वर्षा यानि मेघेश का प्रभार रहेगा।

रक्षा विभाग दुर्गेश एवं फलों का प्रभार फलेश भी शनि को बनाया गया। इस प्रकार राजा के पास चार विभाग होंगे। खरीफ की फसलों का स्वामी चंद्रमा, रवि का स्वामी बुध बनाए गए हैं। नीरसेश का प्रभार शुक्र के पास रहेगा। नीरसेश वस्तुओं का प्रभार बुध के पास, वित्त मंत्रालय यानि धन्येश मंगल के पास रहेगा। पिछले वर्ष के उलट 10 विभागों में से 6 विभाग क्रूर ग्रहों के पास और 4 विभाग सौम्य ग्रहों के पास रहेंगे।

यह रहेगा प्रभाव
- राजा शनि द्वारा संवत 2076 में चार विभाग हथिया लेने से न्याय व्यवस्था तथा रक्षा के मामलों में कसावट रहेगी। रबी एवं खरीफ की फसल का स्वामी बुध-चंद्र अनाजों की अच्छी पैदावार कराएगा।
- रसेश यानि रस वाली वस्तुएं शुक्र, नीरसेश सूखी वस्तुएं बुध शुभ फल देगा। वित्त विभाग मंगल के पास होने से विश्वभर में मंदी की संभावना है। गुरू-बृहस्पति को इस वर्ष का प्रभार प्राप्त हुआ है। इनको मंत्रिमंडल में कोई स्थान प्राप्त नहीं हुआ है। संवत परिधावी नामक संवतसर होगा।

- 60 संवतसरों में यह संवत 46वें क्रम पर है। इस वर्ष मेघेश का स्वामी शनि सामान्य बारिश कराएगा। शनि क्रूर ग्रह होने के कारण एवं रोहिणी का वास समुद्र के पास होने से युद्धादि जैसे हालात बनेंगे।

- मानव निर्मित प्राकृतिक प्रकोप बढ़ेंगे। राजा शनि एवं प्रधानमंत्री सूर्य का प्रभाव इस वर्ष असाध्य रोग की दवा का अविष्कार कराने में सहायक होगा। राजा शनि के धार्मिक राशि धनु पर रहने से धार्मिक मामलों का निपटारा संभव है।

- प्रदेश में बारिश का आगमन 22 जून को गरज-चमक के साथ होगा। इसके पूर्व प्रचंड भीषण गर्मी के संकेत भी ग्रह दे रहे हैं।

60 संवतसरों में यह रूद्रबीसी का 5वां वर्ष
शास्त्रों के अनुसार 60 संवतसरों को तीन भागों में बांटा गया है। रूद्रबीसी का योग 20 वर्ष तक बनता है। रूद्रबीसी का यह 5वां वर्ष (2013-2034) चल रहा है। गौरतलब है कि रूद्रबीसी के पहले वर्ष केदारनाथ आपदा, दूसरे वर्ष पशुपति नाथ को प्राकृतिक प्रकोप, तीसरे वर्ष सिंघस्थ उज्जैन में प्राकृतिक प्रकोप तथा चौथे वर्ष केरल की बाढ़ त्रासदी के अलावा वर्ष के जाते-जाते पुलवामा में आतंकी घटना आदि रूद्रवीसी का प्रभाव है। यह पांचवां वर्ष है। प्राकृतिक प्रकोप एवं आपदाओं से भरा रहेगा। अभी रूद्रबीसी के 15 वर्ष शेष हैं। रूद्रबीसी के 15 वर्ष संघारस माने गए हैं। इस दौरान विश्वयुद्घ जैसे युद्घार्थ की स्थितियां बनने के संकेत हैं। बड़े ग्रहों को देखा जाए तो पूरे वर्षभर शनि और गुरू धनु राशि में, राहू मिथुन राशि में, केतु धनु राशि में संचारत रहेंगे।

तीन ग्रहण पड़ेंगे
परिधावी नामक संवत्सर में तीन ग्रहण पड़ेंगे। 2 जुलाई खग्रास सूर्यग्रहण पड़ेगा, जो भारत में नहीं दिखेगा। 16 जुलाई को चंद्रग्रहण एवं 26 सितंबर को सूर्यग्रहण पड़ेगा। इसका असर भारत में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। इस गर्मी में भीषण जल संकट के साथ पानी में पहरा लगने जैसी स्थितियां निर्मित हो सकती हैं।
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