MCU BHOPAL भर्ती घोटाला: 100 नियुक्तियां ऐसी जिन्हे पढ़कर हर कोई चौंक जाएगा | MP NEWS

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (Makhanlal Chaturvedi University- MCU Bhopal) में तत्कालीन कुलपति बृजकिशोर कुठियाला द्वारा 6 प्रोड्यूसर और प्रोड्क्शन सहायक की नियुक्ति में सारे नियम ताक पर रख दिए गए। (RECRUITMENT SCAM) कुछ और नियुक्तियों की शिकायतें भी सामने आईं हैं। ऐस कुछ इस तरह की हैं कि (MCU SCAM) जानकर हर कोई चौंक उठेगा। 

इन लोगों की नियुक्तियां जांच की जद में

अब यह मामला जांच समिति के पास पहुंची है। इनकी नियुक्ति में महापरिषद की अनुमति लिए बिना आदेश जारी कर दिए गए थे। इनके वेतन निर्धारण में भी गड़बड़ी रोस्टर का परीक्षण नहीं किया गया। इसमें डायरेक्टर प्रोडक्शन आशीष जोशी, प्रोड्यूसर बापू बाघ, राकेश कुमार योगी, रामदीन त्यागी, मनोज कुमार पटेल, गजेन्द्र सिंह अवासिया, दीपक चौकसे का नाम शामिल है। वहीं प्रोड्क्शन असिस्टेंट लोकेंद्र सिंह राजपूत, प्रियंका सोनकर का नाम शामिल हैं। जबकि विवि में प्रोड्यूसर की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां पर किसी प्रकार की फिल्म नहीं बनाई जाती है। लेकिन कुलपति कुठियाला ने अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए यहां छह पदों पर प्रोड्यूसर की फर्जी नियुक्ति कर दी।

पढ़िए कुलपति कुठियाला ने क्या कर डाला

प्रोडक्शन सहायक प्रियंका सोनकर के पास ब्यूटी पार्लर के कोर्स का अनुभव प्रमाण पत्र है। जबकि इनकी नियुक्ति प्रोडक्शन सहायक के पद पर की गई है। वहीं आशीष जोशी के पास शिक्षण कार्य का अनुभव प्रमाण पत्र नहीं है। इनको पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग में प्रोफेसर बनाया गया। जब इनकी योग्यता पर विवाद हुआ तो उन्हें ओएसडी बना दिया गया। इसके बाद इन्हें डायरेक्टर प्रोडक्शन बनाया गया। इनके पास एक दिन का दिन का भी शिक्षण कार्य का अनुभव न होने पर भी इन्हें प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दे दी गई। तत्कालीन कुलपति कुठियाला ने एक सप्ताह बाद ही इन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग का विभागाध्यक्ष बना दिया। अभी वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर लोकसभा टीवी में पदस्थ हैं।

कैसी कैसी नियुक्तियां हुईं, पढ़कर चौंक जाएंगे

विवि में प्रोड्यूसर रामदीन त्यागी से पत्रकारिता विभाग में दो विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि इनके पास पत्रकारिता में डिग्री नहीं है। वहीं लोकेंद्र राजपूत को 2013 में प्रोडक्शन सहायक पद पर नियुक्ति दी गई थी और 1 साल बाद 2014 में सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति दे दी गई। इनके पास शिक्षण कार्य का अनुभव नहीं है। इसकी कुलपति के पास शिकायत हुई थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। वहीं गजेंद्र सिंह को 2013 में प्रोड्यूसर के पद पर फर्जी तरीके से नियुक्ति दी गई थी, इनके पास अनुभव नहीं था। इन्होंने इंदौर विश्वविद्यालय में कार्य करते हुए रेगुलर डिग्री प्राप्त की थी। एक ही समय में दो कार्य कैसे संभव है। इसके बाद 2014 में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति दे दी गई। बिना किसी अनुभव को विश्वविद्यालय के नियमानुसार और यूजीसी के नियमानुसार नियुक्ति अवैध है।

इनका कहना है
विवि में नियुक्तियों से संबंधित 100 शिकायतें आई है। सभी नियुक्तियों की जांच हो रही है। 
पी नरहरि, कुलपति, एमसीयू

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !