अघोषित बिजली कटौती के खिलाफ आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री भड़के | MP NEWS

भोपाल। ऊर्जा विभाग के अफसरों और बिजली कंपनी के जमीनी अधिकारियों की अब खेर नहीं। 2003 में अघोषित बिजली कटौती के कारण ही ​कांग्रेस की सरकार चुनाव हार गई थी और अब 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनते ही फिर से अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई। कैबिनेट मीटिंग में आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री इस बात को लेकर भड़क गए। सीएम कमलनाथ भी नाराज हुए। 

प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती और खेती के लिए 10 घंटे बिजली न मिलने से कमलनाथ कैबिनेट की पहली बैठक में मंत्रियों का गुस्सा फूट पड़ा। मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, डॉ. प्रभुराम चौधरी, सुखदेव पांसे, गोविंद सिंह राजपूत समेत अन्य मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से शिकायत करते हुए कहा कि शहरी क्षेत्रों में अघोषित कटौती की जा रही है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर नहीं बदले जा रहे हैं, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए बिजली नहीं मिल पा रही है। इस शिकायत पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आईसीपी केशरी पर नाराज हो गए। 

कमलनाथ ने ऊर्जा विभाग के अफसरों से पूछा कि क्या बिजली की कमी है तो केशरी ने कहा कि बिजली सरप्लस है। नाथ ने कहा कि फिर क्यों बिजली कटौती जैसी बात आ रही है। इस पर केशरी का कहना था कि यह गड़बड़ी संभागीय स्तर पर हो रही है। यह सुनकर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जहां भी अघोषित बिजली कटौती हो रही है, तत्काल वहां स्थिति सामान्य करें और जहां भी ट्रांसफार्मर खराब हैंं, हर हालत में तीन दिन में बदल दिए जाएं। 

उन्होंने कहा कि 4 जनवरी को दोबारा बिजली को लेकर चर्चा करेंगे। इससे पहले कैबिनेट में केशरी ने बिजली को लेकर प्रजेंटेशन दिया, जिसमें बताया गया कि प्रदेश में बिजली की अच्छी स्थिति के बारे में जानकारी दी गई। कमलनाथ ने कहा कि मुझे आंकड़ों से कोई लेना-देना नहीं है। यह भी ध्यान रखा जाए कि जब फ्लैट रेट 200 रुपए पर बिजली देना है तो फिर जबरन वसूली न की जाए। ज्यादा बिल आ रहे हैं तो इसकी समीक्षा हो जाए। इससे पहले पांसे ने सारणी बिजली घर का मसला भी उठाया। उन्होंने कहा कि यह अच्छी स्थिति में नहीं है, इसे बेहतर करने के साथ पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन किया जाए तो मप्र को लाभ मिलेगा। 

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