ADHYAPAK: 1994 के डाइंग कैडर को जीवित कराने कमलनाथ को ज्ञापन सौंपा | MP NEWS

भोपाल। नए कैडर के मामले में अध्यापकों के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। अध्यापकों ने मंगलवार को बैठक कर बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ और मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपे। जिसमें इन्होंने आयुक्त लोक शिक्षण एवं राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग तक कर डाली। 

मप्र शासकीय अध्यापक संगठन का कहना है कि कांग्रेस ने 1994 के डाइंग कैडर को जीवित करने का वादा किया है। इसके बावजूद विभाग द्वारा नए कैडर में नियुक्ति की प्रक्रिया जारी रखी जा रही है। हम नए कैडर की सेवा शर्तों से नाखुश हैं। पहले से ही इसकी विसंगति सुधारने की मांग कर रहे हैं। विभाग को सरकार के वादे पर अमल करना चाहिए।  संगठन ने एक दिन पहले एमएलए रेस्ट हाउस में बैठक बुलाई थी। 

इसमें प्रांताध्यक्ष आरिफ अंजुम, राकेश दुबे, जितेंद्र शाक्य, उपेंद्र कौशल, अब्दुल हलीम, वंदना शर्मा, शीबा खान, नवनीत स्वामी सहित प्रदेश भर से आए पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में डाइंग व नए कैडर पर बातचीत की गई। इसके बाद ये बुधवार को ज्ञापन सौंपने मंत्रालय पहुंच गए। स्कूल शिक्षा विभाग ने चुनाव खत्म होने के बाद नए कैडर में नियुक्ति की प्रक्रिया दोबारा शुरू कर दी थी। विभाग ने ई सर्विस बुक के अपडेशन और वेरिफिकेशन 31 दिसंबर डेड लाइन तक तय कर दी है। विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि यह प्रक्रिया पहले से जारी थी। आचार संहिता के कारण ही यह रुकी हुई थी। 

ये फायदे होंगे... पदनाम समेत अन्य सुविधाएं 
कैडर एक ही हो जाएगा। 1994 का कैडर जीवित होते ही समान पदनाम मिल जाएंगे। रेगुलर कर्मचारियों के समान पेंशन, जीपीएफ, ग्रेच्युटी, अनुकंपा नियुक्ति, बीमा समेत अन्य सुविधाएं मिल जाएंगी। अध्यापक कैडर में यह सुविधाएं नहीं हैं। 

समझें क्या है डाइंग कैडर 
एक्सपर्ट रमाकांत पांडे ने बताया कि तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने 1994 में स्कूल शिक्षा विभाग के लेक्चरर, शिक्षक और सहायक शिक्षक पदों डाइंग कैडर घोषित कर दिया था। इसे पंचायती राज के तहत निकायों के अधीन करके नई सेवा शर्तें बना दी थीं। कैडर को शिक्षा कर्मी पदनाम दिया गया था। लेक्चरर को शिक्षा कर्मी वर्ग 1, शिक्षक को वर्ग 2 और सहायक शिक्षक को वर्ग 3 के नाम से पदनाम दिए थे। 1994 की सभी सेवा शर्तें खत्म कर दी थीं। 

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