Private Employee: कुल इनकम में BESIC SALARY का क्या महत्व है | NATIONAL NEWS

प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी अक्सर अपनी इन हेंड इनकम पर फोकस करते हैं परंतु यदि आप समझदार कर्मचारी हैं तो आपको बेसिक सैलरी पर फोकस करना चाहिए। वो जितना ज्यादा होगी, उतना ही लाभदायक है। कई बार कंपनियां इन्क्रीमेंट के साथ बेसिक सैलरी रिवाइज नहीं करती हैं। इससे आपको मिलने वाली इनहैंड सैलरी तो बढ़ जाती है लेकिन आपका पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन नहीं बढ़ता है। इसकी कीमत प्रॉविडेंट फंड में बड़े नुकसान के तौर पर चुकानी होगी। ऐसे में इन्‍क्रीमेंट के बाद अपनी सैलरी स्लिप चेक कर लेनी चाहिए कि आपकी बेसिक सैलरी रिवाइज हुई है कि नहीं। 
 

प्राइवेट कर्मचारी के लिए ईपीएफ नियम क्‍या है? / What is the EPF rule for a Private employee?

ईपीएफ एक्‍ट, 1952 के तहत 20 या इससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी कर्मचारी का पीएफ काट कर उसके ईपीएफ अकाउंट में जमा कराना जरूरी है। नियम के तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी हर माह पीएफ फंड में जाता है। कंपनी भी कर्मचारी के लिए उतना ही कॉन्ट्रीब्यूट करना होता है। ऐसे में अगर आपकी बेसिक सैलरी कम है तो आपका पीएफ भी कम कटेगा। इससे लंबी अवधि में आपको लाखों रुपए का नुकसान होगा।

बेसिक सैलरी कैसे बढ़वाएं/ How To Increase Basic Salary

मौजूदा समय में हमारे यहां सैलरी की कोई तय परिभाषा नहीं है। कंपनियां इसी का फायदा उठा कर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी कम रखती हैं। बाकी की सैलरी को वे तमाम तरह के भत्‍तो में बांट देती हैं। ऐसे में आप कंपनी को बाध्‍य नहीं कर सकते हैं कि वह आपकी बेसिक सैलरी आपके हिसाब से तय करे लेकिन आप अपनी कंपनी में एचआर डिपार्टमेंट से यह अनुरोध कर सकते हैं कि आपकी बेसिक सैलरी कम है और आपके अप्रेजल के समय आपकी बेसिक सैलरी को रिवाइज किया जाए। एचआर डिपार्टमेंट अगर बात को समझते हुए आपकी बेसिक सैलरी को बढ़ा सकता है।

क्या होती है बेसिक सैलरी / WHAT IS THE BESIC SALARY

बेसिक सैलरी कर्मचारी को उसकी योग्यता और काम के आधार पर कंपनी की तरफ से दिया जाने वाला मूल वेतन होता है। बेसिक सैलरी में द्वारा दिए गए बोनस, लाभ या किसी भी अन्य मुआवजे में शामिल नहीं होते हैं। बेसिक सैलरी सालाना इंक्रीमेंट के माध्यम से बढ़ाई जाती है। मगर ऐसा जरुरी नहीं है। किसी भी सैलरी स्लिप में बेसिक सैलरी का जिक्र सबसे पहले किया जाता है। बेसिक सैलरी कुल वेतन का 30 से 45 फीसदी तक होती है। बेसिक सैलरी पर ही आपको टैक्स देना होता है। यह 100 प्रतिशत टैक्सेबल होती है। आपकी बेसिक सैलरी जितनी ज्यादा होगी आपका टैक्स उतना ही कटेगा। हालांकि, बेसिक सैलरी से जो अमाउंट पीएफ के तौर पर कटता है वह टैक्स से मुक्त होता है।

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