सियासी घमासान हाईकमानों का परीक्षाकाल | EDITORIAL by Rakesh Dubey

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बांटने का काम भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने भले ही पूरा कर लिया हो, परन्तु दोनों ने कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिए जिनका जवाब अभी दोनों के पास नहीं है। दोनों दलों में जमीनी कार्यकर्ता उपेक्षित हुए है। दबाव की राजनीति ने काम किया है। वंशवाद से लेकर प्रजातंत्र को खोखला करने वाली सारी बुराईयाँ इन सूचियों में मौजूद हैं। नतीजा दोनों ही और से बागी मैदान में डटे हैं और नामांकन भर रहे हैं। बागियों को हाथोंहाथ टिकट देने के कीर्तिमान भी इस चुनाव की विशेषता बन गया है। दोनों हाईकमान अपनी बात से मुकर गए हैं। तय मापदंड तो सिरे से नकार दिए गये हैं।

अंतिम सूचियों के बाद कई सवालों के जवाब मिल गए, कई जवाब गुम गए  और घमासान के आसार बढ़ गए हैं। इन  सूचियों  में नेताओं के बेटों-बहू का पूरा ध्यान रखा गया है। जिन सीटों [भोपाल उत्तर इंदौर और गोविंदपुरा ] को लेकर जबरदस्त सस्पेंस बना हुआ था, वह भी खत्म हो गया। हालांकि कुछ दिग्गजों को मायूसी हाथ लगी।  आने वाले दौर में बड़े नेताओं के बीच सियासी घमासान और तेज हो सकता है, जिसे रोकने में दोनों हाईकमान सफल होंगे, इसमें संदेह है |

जहाँ भाजपा ने इंदौर की सीटों को लेकर स्थिति साफ कर दी है। वही भोपाल उत्तर और गोविन्दपुरा में लिए गये पार्टी के निर्णय से जमीनी कार्यकर्त्ता नाराज़ हैं | इंदौर तीन से कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिया गया है। इस सीट को लेकर कैलाश और सुमित्रा महाजन में रस्साकशी चल रही थी, आखिर कैलाश भारी पड़े। दरअसल, ताई को अपने बेटे मंदार के लिए इंदौर-३  से टिकट की उम्मीद में थीं। अगर कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश को इंदौर-2  से लड़वाने पर आलाकमान सहमत हो जाता तो मौजूदा विधायक रमेश मेंदोला को हटाना पड़ता। विजयवर्गीय मेंदोला को इंदौर-3 से लड़ाना चाहते थे। लेकिन इंदौर-3 से सुमित्रा महाजन अपने बेटे मंदार को खड़ा करने की इच्छा रखती थीं। इसी गणित ने दो बड़े नेताओं को आमने-सामने ला खड़ा कर दिया है। इसके दूरगामी नतीजे होंगे | परिणाम लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में नजर आएगा|

भाजपा ने अपनी अंतिम सूची में बाबूलाल गौर को भी साध कर उनकी बहू कृष्णा गौर को गोविंदपुरा से टिकट दिया है। बाबूलाल गौर ने इसे लेकर आलाकमान पर जबरदस्त दबाव बनाया हुआ था। वह और उनकी बहू तो कहीं और जाने या निर्दलीय खड़े होने के लिए  नामांकन पत्र तक खरीद चुके थे। आखिर जीत उनकी ही हुई। सरताज सिंह का दबाव नहीं चल सका और वे रोते-रोते कांग्रेस में चले गये | लेकिन, गोविन्दपुरा सीट इस बार उतनी आसान नहीं है, जितनी पिछले चुनावों में रही है | यही हाल भोजपुर का है | भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजी कुछ भी करा सकती है |

टिकटों का एलान भले ही हो गया है, लेकिन ये सूचियाँ दोनों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। इनसे जुडा एक सवाल और जवाब राजनीति के गलियारों में घूम रहा है | इन सूचियों में किसकी चली ? अभी तो इशारे भाजपा में शिवराज की ओर, और कांग्रेस में दिग्विजय सिंह की ओर हैं | सबसे ज्यादा टिकट दोनों सूचियों में इन दोनों के समर्थकों के हैं | अब कौन कितने बागी सलटा पाता है यही इनके कौशल की सफलता होगी |
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !