कैसे पता करें हेल्थ इंश्योरेंस वाली कंपनी और पॉलिसी अच्छी है या बुरी

खुद की और परिवार की सुरक्षा के लिए हेल्थ इन्श्यॉरेंस पॉलिसी एक महत्वपूर्ण चीज़ है। यह आपको आर्थिक रूप से स्थिर होने में भी मदद करती है। पर सबसे महत्वपूर्ण बात है कि क्या आप सैकड़ों कंपनियों के हज़ारों प्लान्स के बीच अपने लिए सबसे सही प्लान खोज पाए। अगर आप इसके लिए किसी स्कीम के डॉक्युमेंट्स पढ़ेंगे, तो आपको बड़े-बड़े टर्म मिलेंगे। हम आपको आसान भाषा में बता रहे हैं कि एक इन्श्यॉरेंस पॉलिसी लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

#1. क्लेम सेटलमेंट CSR का रिकॉर्ड देखिए 

इन्श्यॉरेंस पॉलिसी लेने से पहले आपको कंपनियों का रिकॉर्ड खंगालना होगा कि किसी कंपनी में बीमा के सबसे ज़्यादा क्लेम सेटल हुए और कितने कम से कम समय में सेटल किए गए। इसे बाज़ार की भाषा में क्लेम सेटलमेंट टाइम और क्लेम सेटलमेंट रेशियो कहते हैं। मान लीजिए किसी कंपनी में बीमा के 100 क्लेम आए और कंपनी ने उनमें से 98 क्लेम सेटल कर दिए यानी उनके पैसे दे दिए। इस हिसाब से कंपनी का सेटलमेंट रेशियो 98% होगा। यही रेशियो जिस कंपनी का सबसे ज़्यादा होगा, उससे इन्श्यॉरेंस पॉलिसी लेना समझदारी भरा फैसला होगा। 

#2. को-पेमेंट 

को-पेमेंट में क्या होता है कि मान लीजिए इन्श्यॉरेंस पॉलिसी खरीदने वाले किसी ग्राहक ने ज़रूरत पड़ने पर क्लेम किया। को-पेमेंट में ग्राहक को पॉलिसी लेते समय एक निश्चित रकम बता दी जाती है, जो ग्राहक को देनी होती है। इससे ऊपर जितना भी खर्च होता है, वह इन्श्यॉरेंस पॉलिसी की तरफ से चुकाए जाएंगे। आमतौर पर जब कॉरपोरेट कंपनियां किसी को नौकरी पर रखती हैं, तो इसी किस्म की इन्श्यॉरेंस पॉलिसी देती हैं। 

#3. पॉलिसी में डे केयर शामिल है या नहीं 

डे केयर उस समय को कहा जाता है, जब किसी मरीज की कोई सर्जरी होनी होती है, लेकिन उसे सर्जरी के लिए तैयार होने में कुछ दिनों का वक्त लगता है। मरीज को तैयार होने में जितने भी दिन या घंटे लगते हैं, उन्हें डे-केयर कहा दाता है। कोई इन्श्यॉरेंस पॉलिसी लेते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि क्या उसमें आपकी सर्जरी के खर्च के अलावा डे-केयर के खर्च को भी शामिल किया जा रहा है या नहीं। 

#4. पॉलिसी बेच रही कंपनी कितने हॉस्पिटल्स से जुड़ी है 

हेल्थ इन्श्यॉरेंस पॉलिसी बेचने वाली हर कंपनी का तमाम अस्पतालों से टाईअप होता है। कुछ कंपनियों का ज़्यादा हॉस्पिटल्स से होता है, वहीं कुछ कंपनियों का कम हॉस्पिटल से टाइअप होता है। मान लीजिए आपका इलाज किसी ऐसे हॉस्पिटल में चल रहा है, जिसका कंपनी के साथ टाइअप नहीं है, तो आपका क्लेम सेटल नहीं हो पाएगा। तो इन्श्यॉरेंस पॉलिसी लेने से पहले वह लिस्ट ज़रूर देख लीजिए कि कंपनी का कितने और कहां के अस्पतालों के साथ टाईअप है। 

#5. मैटरनिटी कवरेज 

जैसे मैटरनिटी लीव मां बनने के समय मिलने वाली छुट्टी है, वैसे ही इन्श्यॉरेंस पॉलिसी के सिलसिले में मैटरनिटी कवरेज से मतलब है कि बीमा कंपनी किसी कंपनी के मां बनने पर हॉस्पिटल में हुआ खर्च उठाएगी। इन्श्यॉरेंस पॉलिसी लेते समय महिलाओं को इस बारे में तस्दीक ज़रूर कर लेनी चाहिए। 
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !