भोपाल। और कमलनाथ के नाम का गुब्बारा फूट गया। कमलनाथ का अनुभव, पैंतरे और जुगाड़ की राजनीति सब धरी की धरी रह गई। बड़े जोर शोर से '40 दिन 40 सवाल' शुरू किए थे। उम्मीद थी अगले 40 दिन कमलनाथ, शिवराज सिंह सरकार को भारी तनाव देंगे परंतु बिफल रहे। शुरू के 2-4-10 सवाल तो मीडिया में लिफ्ट कराए फिर मीडिया ने भी उन्हे डस्टबिन में डाल दिया। कमलनाथ का एक भी सवाल ना तो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और ना ही चर्चाओं का केंद्र बना।
RDJ के कारण सुर्खियों में रही कांग्रेस
हालात यह हैं कि अब कांग्रेस को जितने भी वोट मिलेंगे, वो राहुल गांधी के किसान कर्ज माफी, दिग्विजय सिंह की चुनावी जमावट या ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभाओं के कारण ही मिलेंगे। शिवराज सिंह सरकार से नाराजगी के कारण कर्मचारियों को वोट भी कांग्रेस को मिल सकते हैं। इन तीनों की तुलना में कमलनाथ का असर कुछ खास नजर नहीं आया।
क्या-क्या कहा गया था कमलनाथ के लिए और क्या-क्या हुआ
कमलनाथ ने जब मध्यप्रदेश की राजनीति के दावेदारी की तो कुछ खास बातें उनके बारे में दोहराई गईं थीं।
क्या कहा था: कमलनाथ वरिष्ठ नेता हैं। मध्यप्रदेश के सभी गुटों में उनकी स्वीकार्यता है। उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाया तो कांग्रेस की गुटबाजी खत्म हो जाएगी।
क्या हुआ: कमलनाथ का अपना गुट बड़ा हो गया। गुटबाजी खुलकर सामने आई और इसके चलते चुनाव प्रचार बुरी तरह से प्रभावित हुआ। पार्टी में वरिष्ठता पर कलंक लग गया।
क्या कहा था: कमलनाथ के उद्योगपतियों से काफी अच्छे संबंध हैं। चुनाव में कांग्रेस को पैसों की कमी नहीं आएगी।
क्या हुआ: कांग्रेस आचार संहिता लागू होने से पहले कंगाल थी, चुनाव प्रचार के आखरी दिन भी फुकलेट नजर आई। स्टार प्रचारकों तक को वाहन, साधन और फ्यूल तक मुहैया नहीं करा पाई। चुनावी चंदा तक नहीं जुटा पाए।
क्या कहा था: कमलनाथ के सभी दलों के नेताओं से अच्छे संबंध हैं। भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बना लेंगे।
क्या हुआ: सबसे पहले बसपा ने दुलत्ती मारी फिर एक-एक करके सभी क्षेत्रीय दलों ने हाथ झटक दिया। किसी से गठबंधन नहीं कर पाए। उल्टा कांग्रेस में भारी बगावत हो गई। जुगाड़ की राजनीती फेल।
क्या कहा था: मध्यप्रदेश में संगठन सक्रिय नहीं है। कमलनाथ कांग्रेस के मूल संगठन को सक्रिय कर देंगे।
क्या हुआ: प्रदेश कांग्रेस कार्यालय, कमलनाथ का कार्यालय बनकर रह गया। मीडिया सेंटर ने केवल कमलनाथ और उनके 2-4 प्रेसनोट छाप नेताओं के बयान जारी किए। स्टार प्रचारकों के फोटो तक कांग्रेस का का मीडिया सेंटर जारी नहीं कर पाया। पीसीसी को कमलनाथ कांग्रेस का ऑफिस बना दिया।
क्या कहा था: कमलनाथ अनुभवी हैं। चुनाव लड़ने के तरीके जानते हैं। कांग्रेस की जीत को आसान कर देंगे।
क्या हुआ: सारा अनुभव धरा का धरा रह गया। भाजपा में कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेर डाला। कमलनाथ, भाजपा के लिए कोई तनाव नहीं बन पाए। भाजपा को केवल राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तनाव दिया। सारा अनुभव फेल।
क्या कहा था: समाज के हर वर्ग से बातचीत करके घोषणा पत्र तैयार करेंगे। कई दिनों तक मीटिंगें चलतीं रहीं। कभी पीसीसी में, कभी बंगले पर, कभी होटलों में।
क्या हुआ: घोषणा पत्र में कई सारी चीजें छूट गईं। बार में ट्वीटर पर वादे करते रहे। चुनाव प्रचार के आखरी दिन तक चुनावी वादा किया। घोषणा पत्र एक दस्तावेज होता है जिस पर 5 साल तक सरकार से हिसाब किताब लिया जाता है। अब ट्वीटर पर वादों का रिकॉर्ड जनता कैसे रखे।