भोपाल। व्यापमं घोटाले की आरोपी महिला डॉक्टर मनीषा सिंह की संदिग्ध मौत हो गई। मध्यप्रदेश एसटीएफ ने डॉ.मनीषा सिंह को 2015 में गिरफ्तार किया था। वह भोपाल में जेल में भी बंद रहीं थीं। बेल लेने के बाद उन्होंने केजीएमयू लखनऊ में एमएस में प्रवेश लिया था। यही नहीं मध्यप्रदेश एसटीएफ लगातार उन्हें पूछताछ के लिए भी बुलाती रहती थी। बार-बार पूछताछ किए जाने को लेकर वह परेशान रहती थीं। बताया जा रहा है कि उनके शरीर में एनीस्थीसिया का हाईडोज पाया गया है। पुलिस एवं परिजनों का कहना है कि उन्होंने सुसाइड किया है। परिजनों के अनुसार इसके लिए रेजिडेंट डॉ. ऊधम सिंह जिम्मेदार है जबकि पुलिस का मानना है कि व्यापमं के कारण उन्होंने सुसाइड किया।
केजीएमयू के बुद्धा हॉस्टल में जूनियर रेजिडेंट डॉ. मनीषा सिंह की शनिवार देर शाम अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। साथी डॉक्टरों ने उन्हें गंभीर हालत में ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया तो हालत काफी नाजुक थी। लिहाजा उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। डॉ. मनीषा की बड़ी बहन दीपा सिंह ने रविवार शाम सीनियर रेजिडेंट डॉ. उधम सिंह पर प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने की रिपोर्ट वजीरगंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बड़ी बहन ने पुलिस को एक ऑडियो क्लिप भी दी थी। डॉ. मनीषा की लगातार हालत खराब ही होती जा रही थी। सोमवार सुबह उनकी हालत और बिगड़ गई और दोपहर में उनकी मौत हो गई।
डॉ मनीषा की मौत की सूचना के कुछ देर बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया। डॉ. मनीषा की मौत से पीड़ित परिवार स्तब्ध है। बड़ी बहन और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। परिजन डॉ. ऊधम सिंह पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। वजीरगंज कोतवाली प्रभारी पंकज सिंह ने बताया, 'मामले की छानबीन की जा रही है। डॉ. ऊधम सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। उन्होंने अपना पूरा पक्ष रखा है। उनका बयान दर्ज कर लिया गया है। डॉ. मनीषा ने आत्महत्या क्यों की? इस बात पर फोकस किया जा रहा है। पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि वह व्यापमं को लेकर भी तनाव में रहती थीं।'
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