भोपाल। राजनीति की समझ, रणनीति, संगठन को खड़ा करने की क्षमता और जबर्दस्त भाषण कला होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह फ्रंट लाइन पर क्यों नहीं हैं। वो जनता को संबोधित क्यों नहीं कर रहे। वो रैलियों में मंच क्यों नहीं संभालते। इन सारे सवालों का जवाब खुद दिग्विजय सिंह ने ही दे दिया है। उन्होंने कहा कि 'मेरे भाषण देने से तो कांग्रेस के वोट कटते हैं इसलिए मैं कहीं जाता ही नहीं।' यह दर्द है एक ऐसे व्यक्ति का जो अपनी ही पार्टी में हुए हमलों से घायल है।
कोई प्रचार नहीं, कोई भाषण नहीं
जानकारी के मुताबिक, दिग्विजय सिंह दो दिन पहले कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के घर पहुंचे थे और वहां से बाहर निकलते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से उनका सामना हो गया, जो उनके इंतजार में बाहर खड़े थे। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने साफ शब्दों में कार्यकर्ताओं से कहा, 'देखते रह जाओगे। ऐसे सरकार नहीं बनेगी। जिसको टिकट मिले, चाहे दुश्मन को टिकट मिले, जिताओ।' उन्होंने आगे कहा, 'मेरा काम सिर्फ एक है- कोई प्रचार नहीं, कोई भाषण नहीं। मेरे भाषण देने से तो कांग्रेस के वोट कटते हैं इसलिए मैं कहीं जाता ही नहीं।'
तो क्या इस कारण छलका दर्द?
आपको याद हो तो, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भोपाल में हुए रोड शो और भेल दशहरा मैदान में हुई रैली स्थल पर दिग्विजय सिंह के कटआउट नहीं लगाए गए थे। जबकि पूरा शहर तमाम कांग्रेसी नेताओं की तस्वीरें और होर्डिंग्स से पटा पड़ा था। इस पर मीडिया ने इसे गुटबाजी करार दिया था। बाद में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उनसे माफी भी मांगी थी। जाहिर है कि इस घटना ने दिग्विजय सिंह को काफी आहत किया होगा। इस बीच पार्टी के ही कुछ अन्य नेता का मानना है कि दिग्विजय के खिलाफ कांग्रेस में ही साजिश हो रही है।
शिवराज सिंह अब भी दिग्विजय राज की याद दिलाते रहते हैं
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ भाजपा द्वारा 2003 में मिस्टर बंटाधार का नारा दिया गया था। अभी भी भाजपा उनके कार्यकाल के दिनों को जनता को याद दिलाती रहती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर तमाम राष्ट्रीय नेता दिग्विजय सरकार के कार्यकाल की सड़क, बिजली की हालत को भाषण में बताकर जनता की यादों को ताजा करते रहते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस हाईकमान ने भी उन्हें एक रणनीति के तहत इस विधानसभा चुनाव में जनता के सामने जाने से रोका है और समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाकर रूठे हुए कांग्रेस नेताओं को मनाने व संगठन को सक्रिय करने की जिम्मेदारी दी है।
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