भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान चाहे तो कह सकती है कि कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न मामले में उनकी स्थिति अरविंद केजरीवाल की दिल्ली से काफी बेहतर है परंतु कड़वा सच यह है कि मध्यप्रदेश की स्थिति बिहार और पश्चिम बंगाल से भी बदतर है। यूपी, दिल्ली और हरियाणा के बाद देश में सबसे ज्यादा महिला कर्मचारियों का यौन उत्पीड़न मध्यप्रदेश में होता है जबकि भाजपा के बड़े नेता मध्यप्रदेश को महिलाओं का सम्मान करने वाले राज्य कहते हैं।
महिलाओं से यौन उत्पीड़न के आंकड़े राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को मिली शिकायतों पर आधारित हैं। इससे बहुत ज्यादा मामले राज्य महिला आयोग में आए हैं और विभागीय शिकायतें, एफआईआर एवं बिना दर्ज हुए मामलों की संख्या इससे बहुत ज्यादा होगी।
कार्यस्थल और दफ्तरों में महिला कर्मचारियों के उत्पीड़न के मामले में उत्तर प्रदेश में स्थिति सबसे गंभीर है। उत्तर प्रदेश के बाद दिल्ली और हरियाणा के सबसे ज्यादा मामले सामने आए। फिर नंबर आता है मध्यप्रदेश का। बिहार की तुलना में यहां दोगुने मामले सामने आए हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि सोशल मीडिया के कथित विशेषज्ञों द्वारा पश्चिम बंगाल जैसे जिन राज्यों में अराजकता और आम नागरिकों के असुरक्षित होने की बात की जाती है वहां ऐसे मामलों की संख्या 50 से भी कम है।
नौकरी बचाने के लिए सहती रहती हैं 70% महिलाएं: बार एसोसिएशन
बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक सर्वे के मुताबिक 70% से ज्यादा महिला कर्मचारी यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज नहीं करातीं। यह तथ्य भी सामने आया कि ज्यादातर कंपनियां यौन उत्पीड़न के मामले में गंभीर रुख नहीं अपनातीं। सर्वे में 65% से ज्यादा महिलाओं का मानना था कि ज्यादातर मामलों में जांच के लिए बनी आंतरिक शिकायत समिति पारदर्शिता और गंभीरता नहीं बरततीं। महिलाएं नौकरी गंवाने के डर, प्रतिष्ठा और सीनियर के ज्यादा ताकतवर होने की वजह से उत्पीड़न के खिलाफ आवाज ही नहीं उठातीं।
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