शिवराज सिंह ने राजमाता के बहाने सरला मिश्रा हत्याकांड कुरेदा | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। सीएम शिवराज सिंह ने आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बहाने एक बार फिर सरला हत्याकांड को कुरेद दिया। इस मामले में भाजपा में मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड आंदोलन प्रदर्शन किए परंतु जबसे भाजपा सत्ता में आई, यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सरला हत्याकांड में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम लिया जाता है परंतु अब तक इसकी सीबीआई जांच नहीं हो पाई है अत: तय नहीं हुआ कि दिग्विजय सिंह आरोपित हैं या नहीं। 

क्या कहा सीएम शिवराज सिंह ने
ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य समारोह में सीएम शिवराज सिंह ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस के जमाने में बहनों को काटकर तंदूर में जला दिया जाता था। आज भाजपा के शासन में बेटियों के अपराधियों को फांसी पर चढ़ाया जाता है। 

क्या है सरला मिश्रा हत्याकांड
बात उन दिनों की है जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और राजा साहब, दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे। होशंगाबाद की रहने वाली सरला मिश्रा कांग्रेस की तेज-तर्रार उच्च शिक्षा प्राप्त कांग्रेस नेत्री थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. अश्वनी कुमार मिश्रा की बेटी थीं। 14 फरवरी 1997 को भोपाल में उन्हें जला कर मार डालने का प्रयास किया गया। उनकी मौत सफदरगंज अस्पताल, नई दिल्ली में 19 फरवरी को हो गई।

भाजपा ने 10 दिन तक विधानसभा बाधित की थी, फिर...
भाजपा ने प्रदेश विधानसभा में दस दिन तक हंगामा किया। अंतत: तत्कालीन गृहमंत्री चरणदास महंत ने 27 फरवरी 1997 को प्रदेश विधानसभा में जारी वक्तव्य में सीबीआई को जांच सौंपने की घोषणा की। लेकिन इस जांच के लिए कभी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। भाजपा ने भी कोई विरोध नहीं किया। इस मामले में दिग्विजय सिंह एवं उनके भाई लक्ष्मण सिंह पर आरोप लगते रहे थे। भाजपा के पास अच्छा मौका था लेकिन उसने उपयोग नहीं किया।

सत्ता में आने के बाद भी फाइल दबाए रखी
मप्र में भाजपा सत्ता में आई। सरलामिश्रा हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने के लिए फिर से आवाजें उठीं लेकिन भाजपा सरकार ने रुका हुआ नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। अब एक बार फिर भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने सरला मिश्रा हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

क्या दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह के बीच गठबंधन है
सवाल सिर्फ इतना सा है कि जब पिछले 10 साल से ज्यादा वक्त से भाजपा सत्ता में है तो उसने अब तक दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में हुए उन मामलों की जांच क्यों नहीं कराई जिनके खिलाफ वो सदन में आवाज उठाती रही थी। क्या फिक्सिंग है दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह के बीच, जो दिग्विजय सिंह के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। बयानों में तो दोनों एक दूसरे के शत्रू प्रतीत होते हैं परंतु कागजों में काफी घनिष्ठ मित्रता नजर आती है।
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