अतिथि शिक्षक: इससे तो कांग्रेस सरकार अच्छी थी, जिसने... khula khat @ atithi shikshak

आदरणीय महोदय जी,
1- मप्र में वर्षों से रिक्‍त शिक्षक पदों पर अतिथि शिक्षक कार्य कर रहें हैं परंतु उनकों सिर्फ तीन कालखंड का वेतन दिया जाता है व दिनभर कार्य लिया जाता है। साथ ही उच्‍च कक्षाओं में निदानात्‍मक कक्षायें भी वर्षों से पढ़वायी जाती हैं व अन्‍य शाला संबंधी कार्य भी कराये जाते है व नियमित कर्मचारी भी कई स्‍थानों पर अपने दायित्‍वों का निर्वहन उनसे ही करवाते है क्‍योंकि उनकी नियुक्ति उनकी ही दया पर निर्भर होती है।

2- सारे देश में सबसे बुरे हाल अतिथि शिक्षकों के मप्र में हैं जहॉं दिल्‍ली में आप की सरकार उनको 30000 के ऊपर वेतन दे रही है वही उनके नियमितिकरण के प्रयास भी पूरे तनमन से कर रही है, पर मप्र में अतिथि शिक्षक वर्ग 1, 2, 3 को 4500, 3500, 2500 से ज्‍यादा पूरे महीने में नहीं मिला है। 23 दिन से कम शाला लगें तो मानदेय जरूर इससे भी कम हो जाता हैं। सारे देश में अतिथि शिक्षक, शिक्षामित्र, नियोजित शिक्षक सबके बुरे हाल भाजपा शासित राज्‍यों अथवा उन राज्‍यों में है जहॉं भाजपा सरकार में शामिल है। जबकि मप्र में ही कांग्रेस की अर्जुन सिंह जी व दिग्‍विजय सिंह जी की सरकार ने 90 दिन सेवा देने वाले अस्‍थायी शिक्षकों को 1998 तक सहायक शिक्षक बनाया है। ऐसी ही आशा गुरूजी के नियमितिकरण व सीएम शिवराज जी की 2013 की घोषणा के बाद अतिथि शिक्षकों को भी थी पर सरकार ने 10-12 साल सेवा करने वाले अतिथि शिक्षकों का नियमितिकरण तो नहीं किया हॉं उनको बाहर जरूर कर दिया और इसी झूठी आशा में हजारों अतिथि शिक्षक 35-40 के हो गये है और अब परिवारिक दायित्‍वों के साथ बेरोजगार भी है। मप्र सरकार चाहे तो कम से कम 1000 दिन सेवा दे चुके अतिथि शिक्षकों को 5 लाख रूपये दे क्‍योंकि यदि स्‍थायी शिक्षक इतनी सेवा देता तो शासन उसे कम से कम इसके बदले 15-20 लाख देता और अब अगर ये लोग शिक्षक नहीं बन पाते तो कई तो अर्थाभाव में मानसिक संतुलन तक खो देंगे। सरकार ने उनका जितना संभव था भरपूर शोषण किया झूठी घोषणाओं और वादों के सहारे।

3- म.प्र सरकार सात साल से शिक्षक भर्ती नहीं कर पायी न ही इसकी तैयारी इतने समय में पूरी कर पायी अगर जल्‍द वर्ग 3 की विज्ञप्‍ति नहीं आयी तो इससे लाखों युवा शिक्षित बेरोजगार निराश होगें सरकार ने राजपत्र में जो रिक्‍त पद दर्शाये थे उससे बहुत कम पदों पर भर्ती निकाली है इससे युवा बहुत रूष्‍ट है और अगले अवसर तक कई ओवरएज हो जायेंगे।

4- आनलाइन अतिथि शिक्षक चयन प्रक्रिया के द्वारा शासन ने 80% से ज्‍यादा अतिथि शिक्षक बाहर कर दिये जो वर्षो से अल्‍पमानदेय पर सेवा दे रहे थे। अंग्रेजी विषय से एमए पास अभ्‍यर्थियों को वर्ग दो अतिथि शिक्षक चयन प्रक्रिया में बाहर करने से अभी तक ग्रामीण स्‍कूलों में अंग्रेजी विषय के शिक्षक तक नहीं है।

5- इग्‍नू व आईसेक्‍ट द्वारा 2011 में शुरू किए गये दो बर्षीय पत्राचार कोर्स डीएलएड को 2016 में पूरा कराया गया। 2013 प्रथम सत्र के कई विषयों का रिजल्‍ट इग्‍नू ने 2015 तक घोषित नहीं किया। जिससे हजारों ने छात्रों ने प्रदेश के कई सेंटरों पर दोबारा 2013 में दिए गये पेपर 2016 में दिये। इग्‍नू द्वारा परीक्षा कार्यक्रम समय पर न करने से आर्थिक, मानसिक प्रताड़ना सहते रहे कई छात्र तो ओवरएज भी हो गये होगें।

6- पीईबी द्वारा परीक्षा कार्यक्रम की कोई वैधता नहीं है कभी आगे पीछे हो जाता है जबकि 2013 के बाद सरकार को पता था कि अगले चुनाव कब है व वह इसके लिए 5 साल से काम कर रही है पर यहां म.प्र के आवेदकों को 4 माह भी नहीं मिलते परीक्षा की तैयारी करने को पीईबी कैलेंडर में फेरबदल होता रहता है कोई निश्‍चिंतता नही है सरकार को ध्‍यान रखना चाहिए इसका व आवेदकों के सामने सही जानकारी रखे जो पुख्‍ता हो।
सादर धन्‍यवाद
आशीष कुमार
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