GST: साढ़े तीन करोड़ डीलर्स का ITC खतरे में, कारोबारियों में गुस्सा | NATIONAL NEWS

इंदौर। जीएसटी में प्रदेश के हजारों कारोबारियों का लाखों रुपए का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) डूबने के आसार बन गए हैं। मार्च 2018 तक का टैक्स क्रेडिट हासिल करने के लिए शनिवार को आखिरी तारीख थी। कारोबारी और कर सलाहकार पहले ही इस मियाद को नाकाफी बता रहे थे। उस पर भी अंतिम दिन जीएसटी पोर्टल ठप हो गया। ऑनलाइन जानकारी दाखिल करने की जद्दोजहद में कारोबारी और उनके कर सलाहकारों का दशहरा तो बिगड़ा ही अब टैक्स क्रेडिट भी हाथ से फिसलता दिख रहा है।

जीएसटी लागू होने के बाद से 31 मार्च तक के टैक्स क्रेडिट हासिल करने के लिए कारोबारियों को खरीदी-बिक्री की जानकारी शनिवार तक ऑनलाइन दाखिल करने का आदेश जारी हुआ था। कर सलाहकारों और वकीलों ने तारीख आगे बढ़ाने की मांग की थी। मामले में लिखित आवेदन जीएसटी काउंसिल तक पहुंचाया गया। टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव सीए जेपी सर्राफ के अनुसार एनुअल रिटर्न जमा करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर है। लिहाजा टैक्स क्रेडिट के लिए भी अंतिम तारीख यही रखी जाना चाहिए।

जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स क्रेडिट की औपचारिकता करने का यह पहला अवसर है। नई प्रक्रिया है, नए नियम हैं और ऑनलाइन कंप्लाएंस है। इस आधार पर भी पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। लेकिन विभाग ने निवेदन को दरकिनार कर दिया। हमें जवाब दे दिया गया कि टैक्स क्रेडिट के लिए ज्यादा दस्तावेज तो चाहिए नहीं, सिर्फ बिल ही तो लगाना है। त्योहार छोड़कर व्यापारी और प्रोफेशनल सभी जैसे-तैसे ऑनलाइन फॉर्म दाखिल करने में लगे रहे। हालांकि अंतिम दिन पोर्टल ने भी साथ छोड़ दिया।

पीएमओ को भी शिकायत
आखिरी तारीख पर ठप हुए पोर्टल से कर सलाहकारों, सीए और वकीलों का सब्र का बांध टूट गया। दोपहर तक पोर्टल सुधरने की उम्मीद की जाने लगी। आईटीसी के फॉर्म तो दूर नियमित रिटर्न फॉर्म 3-बी भी दाखिल नहीं हुए। तमाम कोशिशों के बाद थके प्रोफेशनल्स ने पहले पोर्टल के ग्रिवान्सेस सेल पर शिकायतें की। शाम को सोशल मीडिया के जरिये संदेश प्रसारित कर सभी प्रोफेशनल्स और सीए ने अपील जारी कि पोर्टल की शिकायत वित्त मंत्रालय, पीएमओ के वित्त सचिव को भी ई-मेल और आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर भेज दी जाए। शाम तक इंदौर से ही सैकड़ों शिकायतें भेजी गईं।

साढ़े तीन करोड़ डीलर्स होंगे प्रभावित
देश के साढ़े तीन करोड़ डीलर्स पंजीकृत हैं। पोर्टल के कारण इन सभी की टैक्स क्रेडिट डूब रही है। आंकड़े का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। तारीख बढ़ाने की अपील खारिज कर दी गई। आज पोर्टल नहीं चला। सजा करदाताओं को मिल रही है। 
एके गौर, अध्यक्ष, टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन
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