सवर्ण सेना ने मोदी और मनोज तिवारी को काले झंडे दिखाए | national news

नई दिल्ली। बिहार में सवर्ण सेना ने आज 2 बड़े दिग्गजों को काले झंडे दिखाए। दरभंगा में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के काफिले को सवर्ण सेना के कार्यकर्ताओं ने घेराव करते हुए काला झंडा दिखाया तो भभुआ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी को काले झंडे दिखाए गए। 

सुशील मोदी को घेरा, नारे सुनाए, काला झंडा दिखाया

बिहार के दरभंगा में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के काफिले को सवर्ण सेना के कार्यकर्ताओं ने घेराव करते हुए काला झंडा दिखाया। ये लोग एससी-एसटी एक्ट और आरक्षण व्यवस्था का विरोध कर रहे थे। इन कार्यकर्ताओं ने सुशील मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उपमुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे पुलिस जवानों ने आंदोलनकारियों को खदेड़ दिया।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को भी घेर लिया था

बताते चलें कि गुरुवार को भागलपुर में नवगछिया रेलवे स्टेशन पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे का सवर्ण सेना के कार्यकर्ताओं ने घेराव करते हुए उन्हें काला झंडा दिखाया था। इन कार्यकर्ताओं ने मंत्री की गाड़ी को चारों ओर से घेर लिया और बाहर निकलने में अश्विनी चौबे को नाकों चने चबाने पड़े। सवर्ण सेना के कार्यकर्ता केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे की गाड़ी को घेर कर केंद्र सरकार और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हालांकि बाद में मंत्री गाड़ी से उतरे और उनकी बातों को लोकसभा और सरकार के समक्ष रखने की बात कही। इस दौरान मंत्री की सुरक्षा में लगे पुलिस जवान भीड़ को हटाने में जुटे रहे।

मनोज तिवारी पर हुआ छापामार प्रदर्शन

भाजपा सांसद मनोज तिवारी को बिहार के भभुआ में शनिवार को सवर्ण समाज के लोगों ने काला झंडा दिखा कर अपना विरोध प्रकट किया। मनोज तिवारी कैमूर जिला के ही मोहनियां प्रखंड के अतरवलिया गांव के रहनेवाले हैं। सवर्ण समाज के युवक कार्यक्रम स्थल पर लगी कुर्सी पर बैठ गये थे। वे अपने पॉकेट में काला झंडा लिए हुए थे। दोपहर में 12.25 बजे जैसे ही सायरन बजाते वाहन के साथ गाड़ियों का काफिल नगरपालिका मैदान में पहुंचा, आगे की कतार में बैठे युवक अपने पॉकेट से काला झंडा निकालकर मंच की ओर दिखाते हुए मनोज तिवारी का विरोध करने लगे। करीब 20 मिनट तक विरोध का दौर चलता रहा।

हालांकि, इस दौरान मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने युवाओं को काफी समझाने का प्रयास किया. लेकिन, उन्होंने उनकी एक नहीं सुनी। जब उन्हें पता चला कि इस काफिले में मनोज तिवारी नहीं हैं, तो युवक नगरपालिका गेट पर पहुंच गये और वाहनों के काफिले के साथ मनोज तिवारी को लोगों ने गाड़ी में बैठे देखा, रोड को जाम कर उन्हें घेर लिया। विरोध कर रहे लोग कि मंशा मनोज तिवारी के माध्यम से अपनी आवाज केंद्र सरकार तक पहुंचाने की थी।
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