अब नाई और चायवालों के जरिए होगा भाजपा का प्रचार | CG NEWS

रायपुर। भाजपा सरकार में है। रेहड़ी वालों की रोजी रोटी सरकार की कृपा पर ही चलती है। भाजपा ने इसका भरपूर फायदा उठाया। सत्ता के प्रभाव का इस्तेमाल करके कटिंग/सेविंग करने वाले नाई और हाथ ठेलों या सरकारी जमीन पर कच्ची टपरिया डालकर चाय/पकौड़े वालों को भाजपा ने व्यवसायिक प्रकोष्ठ में सदस्य बना लिया। पिछले दिनों उन्हे ट्रेनिंग दी गई कि वो किस तरह अपना काम करते करते भाजपा का प्रचार करें और ग्राहकों का ब्रेनवॉश कर दें। 

ग्राहक का ब्रेनवॉश करने स्पेशल ट्रेनिंग दी
भाजपा ने इन्हें खासतौर पर ट्रेनिंग दी है कि किसी तरह रणनीति के तहत वे अपने ग्राहकों के सामने चर्चा छेड़ेंगे और कैसे उनका मन टटोलकर सरकार की बेहतर छवि पेश करेंगे। भाजपा का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चायवाले से देश के शीर्ष पद का सफर तय किया है। इससे बड़ी संख्या में चायवाले भाजपा के समर्थक हो गए।

इसी तरह सैलून चलाने वालों का अपना संगठन होता है, लेकिन ये कभी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं बन सके। भाजपा ने इन्हें व्यावसायिक प्रकोष्ठ का हिस्सा बनाया। यही नहीं, चाय-पकौड़े, सैलून वालों और जूते पॉलिश करने वालों को खास ट्रेनिंग भी दी, जिससे वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को भाजपा की विचारधारा से जोड़ सकें।

व्यावसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अंशुमान सिंह का कहना है पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय के विकास की विचारधारा बनाई है। इसके तहत ही उन वर्गों को व्यावसायिक प्रकोष्ठ से जोड़ा गया है, जो कभी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं रहे हैं। प्रदेशभर में पांच हजार से ज्यादा कार्यकर्ता हैं। 

डेढ़ साल से चल रही थी कवायद
व्यावसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक प्रदीप सिंह बताते हैं, व्यापार प्रकोष्ठ में गुमटी चलाने वाले, मिस्त्री, कर्मकार, मोची, ईंट बनाने वाले, पान ठेले, किराना दुकान वाले किसी राजनीतिक दल में नहीं होते थे। इन सभी को भाजपा ने प्रकोष्ठ से जोड़ा है। पहले आर्टिजन सेल के नाम से राष्ट्रीय संगठन काम करता था, जो डेढ़ साल पहले व्यावसायिक प्रकोष्ठ बन गया। 

राज्य सरकार ने लोक कलाकार मोना सेन को राज्य केश शिल्पी कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है। माेना सेन राज्य सरकार की “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की ब्रांड एंबेसडर भी रही हैंं। उन्हें राज्य सरकार ने कई सम्मानों से भी सम्मानित किया है।

चुनावी चर्चाएं चाय-पान के ठेले या सैलून में होती है। भाजपा ने इन्हें खुद से जोड़ा, ताकि ऐसी चर्चा छिड़े तो वे भाजपा का पक्ष रख सकें। मोदी से प्रेरित होकर कई चायवालों ने अपने स्टॉल का नाम मोदी के नाम पर रख लिया था।

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