'शब्द' बहुत खतरनाक होते हैं, ये जिंदगी समाप्त कर सकते हैं | SUPREME COURT

नई दिल्ली। शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए क्योंकि ये तलवार से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं जो हमारे आसपास के व्यक्तियों का जीवन समाप्त कर सकते हैं। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला को एक युवती को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी बताने के ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहाराया और उसे बची हुई सजा काटने का आदेश दिया।

रानी उर्फ सहायारानी ने लड़ाई झगड़े के दौरान युवती को वेश्या कह दिया था, जिससे आहत होकर युवती ने स्वयं पर तेल छिड़क कर आत्मदाह कर लिया था। मृत्यु से पहले दिए बयान में उसने बताया कि महिला की गाली-गलौच और उसका कहा गया शब्द उससे बर्दाश्त नहीं हुआ।

ट्रायल कोर्ट ने महिला को आईपीसी की धारा 306 के तहत तीन साल की सजा दी। लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने उसे घटाकर एक वर्ष कर दिया। दोषी रानी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन जस्टिस आर. भानुमती और विनीत सरन की पीठ ने उसकी दोषसिद्धि को सही ठहराया और कहा कि मृत्यु पूर्व बयान को पढ़ने से साफ है कि अपीलकर्ता ने उस मृतक के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। 

मृतक 26 वर्ष की अविवाहित युवती थी जो इस शब्द से बुरी तरह से आहत हो गई और आत्महत्या करने का फैसला कर लिया। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में पहले ही काफी रियायत बरत कर सजा को एक साल कर दिया है। हमें इसमें और उदारता दिखाने कि जरूरत नहीं है। दोषी को आदेश दिया जाता है कि वह चार हफ्ते में सरेंडर कर बची हुई सजा भुगते।
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