मैं किला-ए-मुबारक हूं, लोग मुझे लाल किला भी कहते हैं, ये है मेरी कहानी | STORY OF RED FORT

दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके के दिल में बसा लाल किला साल 1639 में मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था। ये किला करीब 200 सालों तक मुगलों के रहने की आलीशान जगह रहा। इस किले को 'किला-ए-मुबारक' भी कहा जाता है। 

मुख्य डिजाइनर उस्ताद अहमद लाहौरी


इस किले के मुख्य डिजाइनर उस्ताद अहमद लाहौरी थे, जिन्होंने ताजमहल का भी निर्माण करवाया था। लाल किले को जमुना नदी के पास बनवाया गया था। मुगल बादशाहों को नदियों से बहुत प्यार था और यही वजह थी कि वो अपने रिहाइशी इलाकों के आसपास नदियां ज़रूर चाहते थे। 

पहले सफ़ेद रंग का था लाल किला


लाल किले की अहम पहचान है कि वो लाल रंग का है। इसी वजह से उसे लाल किला कहा भी जाता है लेकिन लाल किला हमेशा से लाल नहीं था। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार ये किला पहले सफ़ेद रंग का था। दरअसल ये पहले चूने के पत्थरों से बना था लेकिन ब्रिटिश काल के दौरान ये जब अपनी चमक और पहचान खोने लगा, इसे लाल रंग से पुतवा दिया गया।  

कोहिनूर हीरा इसी किले के राज सिंहासन में जड़ा था


दुनिया का सबसे नायाब माना जाने वाला हीरा कोहिनूर है। ये हीरा लाल किले में स्थित शाहजहां के राज सिंहासन का हिस्सा था। सोने और हीरे जवाहरात से जड़ा ये सिंहासन लाल किले के 'दीवान-ए-ख़ास' का हिस्सा था लेकिन अंग्रेजी शासन के दौरान ये हीरा अंग्रेज अपने साथ ले गए। अब ये हीरा ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया के पास है। 

10 साल में बनकर तैयार हुआ यह किला


लाल किला 1638 में बनना शुरू हुआ और 1648 में बनकर तैयार हो गया। शाहजहां ने अपना जीवन लाल किले में ही बिताया। उसके बेटे औरंगजेब ने लाल किला परिसर में एक मोती मस्जिद का निर्माण भी करवाया था लेकिन 18वीं शताब्दी की शुरुआत के साथ ही औरंगजेब का पतन हुआ और मुगल वंश भी खत्म होने की कगार पर पहुंच गया। 18वीं सदी ने इस खूबसूरत इमारत का पतन और खस्ताहाल देखा। 

मराठों ने बेच दी थी दीवान-ए-खास की चांदी


साल 1752 में जब मुगल पूरी तरह से टूट चुके थे, एक संधि की गई जिसके तहत दिल्ली की राजगद्दी संभालने की जिम्मेदारी अब मराठों की थी। 1760 में मराठों ने लाल किले के दीवान-ए-खास की चांदी की परतें निकलवाकर पिघला दीं और इसे बेचकर पैसे इकट्ठे किए। इन पैसों से मराठों ने अहमद शाह दुर्रानी की सेना से युद्ध किया। 

 अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति का बदला किले को तबाह करके लिया


लाल किले में रहने वाला आखिरी मुगल बहादुर शाह द्वितीय था। जब 1875 की क्रांति असफल रही, अंग्रेजों ने बहादुर शाह द्वितीय को यहां एक बंदी के रूप में रखा। इसके बाद अंग्रेजों ने पूरी तरह से किले पर अपना अधिकार जमा लिया था। 1857 की क्रान्ति से गुस्साए अंग्रेजों ने इस किले का बहुत हिस्सा तबाह कर दिया और इसी दौरान कोहिनूर को ब्रिटेन भेज दिया। 

पीएम जवाहरलाल नेहरू ने किले का सम्मान लौटाया


1947 में 15 अगस्त की रात लाल किले पर ही तिरंगा फहरा कर प्रधानमंत्री नेहरु ने आज़ादी का ऐलान किया था। आज़ादी के बाद से ही ये इमारत भारतीय सेना का गढ़ रही लेकिन 22 दिसंबर 2003 को इसे भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग को सौंप दिया गया था। 1947 में 15 अगस्त की रात लाल किले पर ही तिरंगा फहरा कर प्रधानमंत्री नेहरु ने आज़ादी का ऐलान किया था। आज़ादी के बाद से ही ये इमारत भारतीय सेना का गढ़ रही लेकिन 22 दिसंबर 2003 को इसे भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग को सौंप दिया गया था।
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