MP PSC घोटाले की डायरी में ‘मामाजी’ का नाम, CBI छुपा गई थी | MP NEWS

भोपाल। खबर इंदौर से आ रही है। व्यापमं घोटाले के सूत्र संचालकों में से एक डॉ. जगदीश सागर का काला कारोबार केवल पीईबी तक ही सीमित नहीं था। एमपीपीएससी में भी उसकी उतनी ही मजबूत पकड़ थी। एसटीएफ ने उसके यहां से एक डायरी जब्त की थी जो बाद में सीबीआई के पास जांच के लिए पहुंची परंतु सीबीआई ने इस डायरी में छुपा कोई नया राज नहीं खोला। अब इंदौर के पत्रकार संजय गुप्ता ने इसका खुलासा किया है। इस डायरी में एक नाम ‘मामाजी’ भी लिखा है। नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया है कि सरकार स्पष्ट करे कि घोटाला वाला ‘मामाजी’ कौन है। बता दें कि मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह के लिए ‘मामाजी’ शब्द का उपयोग किया जाता है। 

डायरी में सारी जानकारी लिखी है, CBI सब छुपा गई
डायरी में डिप्टी कलेक्टर के लिए 20 लाख रु. में डील अौर 10 लाख एडवांस लेने की बात लिखी है। सीईओ और सीटीओ के लिए 15 लाख का उल्लेख है। इनके लिए आवेदक से आठ लाख लेना लिखा हैै। हर सौदे में 25 हजार रुपए नॉन रिफंडेबल के रूप में लेने का उल्लेख है। व्यापमं घोटाले की जांच एसटीएफ के साथ सीबीआई भी कर रही है, पर जांच एजेंसियां मुख्य रूप से पीएमटी और प्री-पीजी परीक्षा तक ही केंद्रित रहीं। डायरी में आवेदक, उसके पिता का नाम, पता, शहर, मोबाइल नंबर भी लिखा है। आवेदक लड़का है या लड़की? वह किस कैटेगरी से है, यह भी लिखा है। इसी हिसाब से डॉ. सागर डील राशि तय करता था।

डायरी में ‘VIP’ और ‘मामाजी’ जैसे शब्द
डायरी में कुछ सौदों के साथ ‘कन्फर्म’ जैसे शब्द का भी उपयोग हुआ है। एक आबकारी इंस्पेक्टर पद के लिए 10 लाख में हुई डील में इसका उपयोग है, जिसमें पांच लाख रुपए एडवांस लेने की बात लिखी है। एक डील जो 18 लाख में अनारक्षित वर्ग के आवेदक के लिए हुई है, उसमें पद का जिक्र तो नहीं है लेकिन ‘वीआईपी’ और ‘मामाजी’ जैसे शब्द लिखे हुए हैं। ये शब्द संकेत देते हैं कि सौदा डॉ. सागर के किसी करीबी ने किया होगा। हालांकि इन शब्दों के मायने और संबंधित आवेदक का चयन पीएससी में हुआ था या नहीं, इसकी जांच होना बाकी है।

डॉ. सागर के घर से STF ने जब्त की थी डायरी
पीएमटी घोटाले में डॉ. सागर का नाम आने के बाद एसटीएफ ने कई जगहों पर छापामारी और पूछताछ की थी। इस दौरान डॉ. सागर के घर से यह डायरी मिली थी, जिसके 70 पन्नों में पीएमटी, व्यापमं की ड्रग इंस्पेक्टर, पुलिस भर्ती के साथ ही पीएससी के सौदे के जिक्र है।

सबूत के लिंक के रूप में कड़ी है यह
इस डायरी में मिले नामों के आधार पर ही एसटीएफ ने जांच कर पीएमटी व प्री-पीजी में प्रवेश लेने वाले छात्रों व उनके परिजनों से पूछताछ की थी। इसमें पीएमटी के सौदे करने की पुष्टि हुई थी। इनके बयान और डायरी में मिले सौदे लिंक बनकर मजबूत सबूत बने हैं। इन्हें जांच एजेंसियों ने कोर्ट में भी पेश कर दिए हैं। डायरी में पीएससी के जरिए छह पदों पर भर्ती के लिए सौदों का जिक्र है। इन सौदों की कुल राशि करीब 95 लाख रुपए है।

पुलिस में भर्ती के लिए केवल लिखित परीक्षा की गारंटी
डायरी में दर्ज जानकारी के हिसाब से डॉ. सागर ने पुलिस विभाग में भर्ती के लिए व्यापमं द्वारा कराई परीक्षा में भी कई पदों के लिए डील की थी। डायरी में यह भी लिखा कि आवेदक को लिखित और फिजिकल दोनों परीक्षा में पास कराना है तो इसके लिए अलग डील है। केवल लिखित में पास कराना है तो कम रुपए लगेंगे। यह सौदे चार से पांच लाख रुपए के हैं। यह भी लिखा कि फिजिकल परीक्षा में पास कराने की गारंटी नहीं है।

5 साल पहले मिल गए थे PSC सौदे के संकेत, पर नहीं की जांच
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 2013 में चार आराेपियों को पकड़ा था, जो विभिन्न राज्यों की परीक्षाओं में पास कराने का सौदा करते थे। इन्होंने एमपी पीएससी में भी डील करने की बात कही थी। मप्र एसटीएफ ने भी इनसे पूछताछ की थी। बाद में पीएससी से राज्य सेवा परीक्षा-2012 की सूची व अन्य जानकारी मांगी थी। बाद में पीएमटी घोटाले के तूल पकड़ने और इसके आरोपियों के सामने आ जाने के बाद पीएससी मामले की विस्तृत जांच नहीं हुई। वहीं, डायरी में जिन लोगों के नाम से सौदों का जिक्र है, उनसे भास्कर ने बात की। इनमें से अधिकांश लाेगों का कहना था कि वे डॉ. सागर को नहीं जानते। दो लोगों ने ही स्वीकार किया कि वे उससे मिले थे, लेकिन पीएमटी में सिलेक्शन करवाने के लिए। पीएससी के जरिए भर्ती के लिए नहीं।
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