शिवराज सरकार की बिजली बिल योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका | MP NEWS

जबलपुर। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान ने 1 जुलाई से सरल बिजली बिल और बकाया बिजली बिल माफी योजना को लागू कर दी है। इसके तहत कई ऐसे उपभोक्ताओं के बिल भी माफ कर दिए गए हैं जिनके ऊपर लाखों का बकाया था। इतना ही नहीं सरकार बिजली चोरी के मामले भी वापस ले रही है और उनके बिल भी माफ किए जा रहे हैं। शिवराज सरकार की सरल बिजली बिल और बकाया बिजली बिल माफी योजना के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गई है। 

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका में आरोप लगाया गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व मौजूदा शिवराज सिंह चौहान सरकार ने भाजपा का वोटबैंक पुख्ता करने यह झुनझुना थमाया है। इस मामले में अधिवक्ता अक्षत श्रीवास्तव पैरवी करेंगे। विशेष अनुमति याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे व डॉ.एमए खान ने गुरुवार को प्रेस कॉफ्रेंस में आरोप लगाया कि राज्य शासन का बिजली बिल माफी का निर्णय मनमाना है।

इसके पीछे राजनीतिक लाभ लेने की मंशा स्पष्ट है। लिहाजा, हाईकोर्ट को अग्रिम राशि जमा करवानी चाहिए थी। पूर्व में ऐसा किया जा चुका है। चूंकि हाईकोर्ट ने जनहित याचिका खारिज कर दी, अत: उस आदेश को पलटवाने सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। इस बारे में जनहित याचिका खारिज होने के दिन ही घोषणा कर दी गई थी।

क्या था हाईकोर्ट का आदेश
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शसन और बिजली कंपनी के बीच के मामले में दखल से साफ इनकार करते हुए 13 जुलाई 2018 को जनहित याचिका खारिज कर दी थी। मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने साफ किया था कि यदि सरल बिजली योजना और बकाया बिजली बिल माफी योजना के कारण भविष्य में उपभोक्ताओं पर बिजली के रेट बढ़ने का बोझ आएगा तो उसके खिलाफ विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपील का रास्ता खुला हुआ है। लिहाजा, यह मामला किसी भी तरह जनहित से न जुड़ा होने के कारण जनहित याचिका खारिज की जाती है। जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा था।

5100 करोड़ का बोझ बढ़ेगा
अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बहस के दौरान दलील दी थी कि सरल बिजली योजना और बकाया बिजली बिल माफी योजना के कारण 51 सौ करोड़ का बोझ बढ़ेगा। राज्य ने बिजली कंपनी को पूर्व में भुगतान नहीं किया अत: इस बात की आशंका से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि इस राशि की वसूली भविष्य में सामान्य उपभोक्ताओं से बिजली के रेट बढ़ाकर की जा सकती है।

बीपीएल व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को लाभ पहुंचाने के नाम पर सरकार इस तरह आम जनता को परेशान नहीं कर सकती। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-65 के तहत वर्ग विशेष को छूट दिए जाने से पूर्व सरकार का दायित्व है कि वह राशि बिजली कंपनी में जमा करे। लेकिन ऐसा न करते हुए 1 जुलाई से योजना लागू कर दी गई।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !