आनंद ताम्रकार/बालाघाट। सितंबर 2016 को बैहर में संघ प्रचारक सुरेश यादव की पिटाई के मामले में पुलिस की विभागीय जांच में तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश शर्मा और टीआई जिया उल हक उक्त घटनाक्रम में दोषी करार दिये गये है। यह वही मामला है जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने पूरे मध्यप्रदेश में विरोध प्रदर्शन किए थे। मप्र शासन के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने पुलिस के खिलाफ बयान दिया था और सीएम शिवराज सिंह मंत्रीमंडल के कई मंत्रियों ने गंभीर विरोध दर्ज कराया था। इस मामले में अभी कुछ और भी जांच शेष हैं।
दो वर्षों तक चली विभाागीय जांच में दिये गये निर्णय के अनुसार शासन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की एक वेतन वृद्धि रोक दी है तथा उन्हें निलम्बन से बहाल करते हुये पुलिस मुख्यालय में एआईजी पद पर पदस्थ किया गया है। वहीं टीआई जिया उल हक और बैहर थाने में पदस्थ एसआई अनिल अजमेरिया और एएसआई सुरेश विजयवार को डिमोशन करते हुये 1 साल के लिये उनके वेतनमान में निम्नतर प्रक्रम में लाने का फैसला किया है। उन्हें भी निलम्बन से बहाल करते हुये सरकार ने उनकी पदस्थापन करने के लिये पुलिस महानिर्देशक को निर्देशित किया है।
क्या है मामला
सांसद औवेसी के संदर्भ में एक आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर संघ प्रचारक सुरेश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। टीआई जिया उल हक संघ प्रचारक को गिरफ्तार करने संघ कार्यालय जा पहुंचे। यहां प्रचारक सुरेश यादव बैठक ले रहे थे, तभी टीआई जिया उल हक ने उन्हे गिरफ्तार कर लिया। प्रचारक यादव का आरोप है कि टीआई जिया उल हक ने उनके साथ पहले संघ कार्यालय और फिर थाने में बेरहमी से मारपीट की। इस घटना के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने पूरे मध्यप्रदेश में विरोध प्रदर्शन किए थे। यहां तक कि गृहमंत्री ने भी पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ संघ प्रचारक के समर्थन में बयान जारी किए थे।
सीएम शिवराज सिंह के निर्देश पर एएसपी राजेश शर्मा, टीआई जिया उल हक सहित दो अन्य पुलिसकर्मियों को निलम्बित करते हुये विभागीय जांच हेतु आदेश दिये गए थे। विभागीय जांच में एएसपी राजेश शर्मा एवं टीआई जिया उल हक दोषी पाए गए हैं एवं दोनों के खिलाफ पुलिस विभाग के नियमानुसार कार्रवाई की गई।
अभी और भी जांच बाकी हैं
बताया गया है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हुआ था। इसके अलावा हाल ही में कलेक्टर डीव्ही सिंग ने इसी घटनाक्रम को लेकर अतिरिक्त जिलाधीश शिवगोविद मरकाम को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुये दण्डाधिकारी जांच के आदेश दिये है। जिसमें एक माह के अंतराल में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाना है।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com