सड़क पर गड्ढे के कारण हुआ एक्सीडेंट तो मुआवजे का हकदार: SUPREME COURT

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। यदि आपका एक्सीडेंट सड़क पर गड्ढे के कारण हुआ है आप मुआवजे के हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। देश में सड़कों पर गड्ढे की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या पर हैरानी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे भयावह करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या आतंकी हमलों में मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक हैं। शुक्रवार को रोड सेफ्टी मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मदन बी. लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि गड्ढों की वजह से दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोग मुआवजे के हकदार हैं।

आतंकी हमलों से ज्यादा मौतें गड्ढों की वजह से होतीं हैं

पीठ ने कहा कि गड्ढों की वजह से दुर्घटनाओं हो रही है, लेकिन अथॉरिटी अपना काम सही तरीके से नहीं कर रही हैं। सड़क मरम्मत का काम सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। पीठ ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या आतंकी हमलों में मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक हैं। पीठ ने कहा, रिपोर्ट में अकेले मुंबई में सड़कों पर 4000 से ज्यादा गड्ढे होने की बात कही गई है।

दो हफ्ते में मांगी कमेटी से रिपोर्ट

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोड सेफ्टी को लेकर गठित जस्टिस केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली कमेटी को इस गंभीर मसले पर विचार करने के लिए कहा है और दो हफ्ते में रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

सड़क दुर्घटना में मुआवजे पर भी बहस

सुनवाई के दौरान पीठ ने हिट एंड रन और सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा देने को लेकर भी बहस हुई। न्याय मित्र गौरव अग्रवाल ने बताया कि हिट एंड रन मामले में मौत होने की स्थिति में पीड़ित परिवार को 25 हजार रुपये, जबकि गंभीर घायल को 12500 रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि मोटर वाहन संशोधन बिल, 2016 में मौत की स्थिति में पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि यह विधेयक एक साल पहले लोकसभा में पारित हो चुका है।

वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने बताया कि विधेयक फिलहाल राज्यसभा में लंबित है, जिसे चालू मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले महीने तक सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि मानसून सत्र में इस बिल के पारित नहीं होने पर शीर्ष न्यायालय इसे खुद देखेगा।
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