मप्र के 6 जिले थोड़ा और पिछड़ गए: नीति आयोग की रैकिंग

भोपाल। इससे पहले नीति आयोग की रिपोर्ट मे मप्र के 8 जिले पिछड़ों की श्रेणी में दर्ज हुए थे। इन जिलों के कलेक्टरों से पीएम मोदी ने सीधी बात की। सीएम शिवराज सिंह ने भी 8 जिलों पर फोकस किया। माना जा रहा था कि इन दिनों कि रैंकिंग सुधरेगी परंतु नीति आयोग की नई रिपोर्ट में 6 जिले पहले से भी नीचे चले गए। बता दें कि पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों को उनके जिलों के विकास की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन शायद ही इन मंत्रियों की ध्यान दिल्ली से कभी हटा और जिम्मेदार जिलों की तरफ गया हो।

मध्यप्रदेश के पिछड़े 8 जिलों में से 6 जिलों की रैंकिंग नीचे गिर गई है। ये सभी राज्य नीति आयोग की डेल्टा रैंकिंग में फिसल गए हैं। पिछड़े जिलों की सूरत बदलने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की कोशिश बेअसर साबित हो रही है। प्रदेश के छह जिले विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज का निर्वाचन क्षेत्र विदिशा, दिग्विजय सिंह का प्रभाव वाला राजगढ़, छतरपुर, दमोह, बड़वानी और खंडवा डेल्टा रैंकिग में निचले पायदान पर पहुंच चुके हैं, हालांकि 8 में से दो जिले गुना और सिंगरौली की हालत में मामूली सुधार दर्ज किया गया है।

सुषमा स्वराज का विदिशा सबसे फिस्ड्डी

पीएम मोदी ने पिछड़े जिलों की दशा बदलने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्रियों और अधिकारियों को सौंपी थी। इनमे से केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के जिम्मे वाला विदिशा जिला नीति आयोग की रैंकिग में सबसे ज्यादा पिछड़ा है। इसके बाद नरेंद्र सिंह तोमर के जिम्मे वाला गुना जिला था, लेकिन गुना ने आंशिक सुधार कर छह जिलों की सूची से बाहर निकल गया है। थावरचंद गहलोत का राजगढ़, प्रकार जावड़ेकर का बड़वानी, खंडवा, वीरेंद्र खटीक का दमोह, छतरपुर और एमजे अकबर का सिंगरौली जिले शामिल थे। इन सभी जिलों की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकार ने मंत्रियों और अफसरों को दी हुई थी, लेकिन इसके बावजूद इन जिलों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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