जूनियर डॉक्टरों और नर्सेस के निष्कासन के बाद 21 का पंजीयन रद्द होगा

BHOPAL: 24 जूनियर डॉक्टरों के निष्कासन के बाद 21 का पंजीयन रद्द करने के लिए मप्र मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखा गया है। काउंसिल से गुरुवार को इन डॉक्टरों के पंजीयन हफ्तेभर के लिए निरस्त करने के आदेश जारी हो सकते हैंं। साथ ही हड़ताली नर्सेस पदाधिकारियों का रजिट्रेशन रद्द करने के लिए नर्सिंग काउंसिल को निर्देश दिए गए हैंं।  जूनियर डॉक्टरों व कर्मचारियों की हड़ताल तोड़ने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाया है। एक माह पहले पीजी फर्स्ट ईयर में दाखिला लेने वाले छात्रों के निष्कासन भी गुरुवार को होने की पूरी उम्मीद है। इन्हें एसएमएस से नोटिस भेज दिया गया है। बता दें कि सभी मेडिकल कॉलेज के जूडा स्टायपेंड में 20 हजार रुपए तक बढ़ोतरी व स्वशासी कर्मचारी 7वें वेतनमान की मांग को लेकर सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर हैं।

हड़ताल से नाराज सरकार जूनियर डॉक्टरों को अब किसी भी तरह की रियायत देने के पक्ष में नहीं है। कमिश्नरों को कह दिया है कि वे निष्कासित छात्रों से छात्रावास खाली कराएं और यदि नहीं मानें तो गिरफ्तारी जैसी कार्यवाही करने से भी गुरेज न किया जाए। बर्खास्त नर्सों की जगह नई भर्ती के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू की तैयारी कर ली गई है। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा राधेश्याम जुलानिया ने साफ कहा कि सामूहिक इस्तीफा नहीं कोर्स से त्यागपत्र दें, हम तत्काल मंजूर करेंगे। जूनियर डॉक्टर छात्र हैं न कि सरकारी सेवक, जो इस्तीफा दें।

प्रदेश में पहली बार जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने सख्ती दिखाई है। हड़तालियों पर कार्रवाई करने के साथ मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्था न बिगड़े, इसके लिए नए मेडिकल कॉलेजों से 250 से ज्यादा डॉक्टरों को भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर भेजा गया है। 70 से 80 सीनियर और जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों को भी तैनात किया गया है। जुलानिया ने बताया कि इंदौर में एक तिहाई जूनियर डॉक्टर काम कर रहे हैं। रीवा में स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है।

एक सवाल के जवाब में अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने बताया कि जो भी कार्यवाही की गई है वो बहुत सोच-समझकर की गई है और कदम वापस लेने का कहीं कोई विचार नहीं है। हड़ताली नर्सों को बर्खास्त करने के साथ नर्सिंग काउंसिल को भी उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कहा जा रहा है। इनसे खाली पदों पर वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से भर्ती की जाएगी। पीजी पाठ्यक्रम में एक माह पहले प्रवेश लेने वाले छात्रों को एसएमएस के जरिए नोटिस दिए जा चुके हैं कि आपके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि विभाग स्टायपेंड बढ़ाने पर पहले विचार कर रहा था पर अब इस मामले में कुछ नहीं किया जाएगा। जूनियर डॉक्टरों को किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि 2016 में 30 हजार रुपए स्टायपेंड थी, जिसे बढ़ाकर 45 हजार रुपए किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त छात्रावास और मेस की सुविधा भी दी जाती है।

जुलानिया ने बताया कि उत्तरप्रदेश और दिल्ली हाईकोर्ट डॉक्टरों की हड़ताल पर पहले ही पाबंदी लगा चुकी है। उत्तरप्रदेश हाईकोर्ट ने तो यहां तक व्यवस्था दी है कि यदि हड़ताल की वजह से किसी मरीज की जान जाती है तो 25 लाख रुपए की वसूली हड़तालियों से की जाएगी। जूनियर डॉक्टरों का पहला काम मरीज को देखना है। मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा।

हड़ताल पर गए तो 10 लाख रुपए देना होगा

चिकित्सा शिक्षा विभाग जूनियर डॉक्टरों के बार-बार हड़ताल पर जाने का स्थाई समाधान निकालने में जुट गया है। अधिकारियों का कहना है कि प्रवेश के समय ही छात्रों से यह अंडरटेकिंग ली जाएगी कि वे हड़ताल पर नहीं जाएंगे और यदि गए तो उनसे निजी मेडिकल कॉलेजों में लगने वाली लगभग दस लाख रुपए फीस वसूली जाएगी। सरकारी कॉलेजों में 50 हजार रुपए फीस लगती है। इसमें भी मेधावी छात्र योजना, अनुसूचित जाति-जनजाति छात्र प्रोत्साहन योजना और संबल योजना के तहत पूरी या आधे से ज्यादा फीस सरकार द्वारा दी जा रही है।


जीएमसी के चार जूडा व 6 नर्सेस पदाधिकारी निष्कासित, एफआईआर दर्ज

निष्कासन के नोटिस के बाद भी बुधवार सुबह 9 बजे तक ज्वाइन नहीं करने वाले चार जूनियर डॉक्टरों को कॉलेज से निषकासित कर दिया गया है। उनसे हॉस्टल भी खाली कराया जा रहा है। साथ ही संयुक्त मोर्चा चिकित्सा शिक्षा कर्मचारी संघ के छह पदाधिकारियों निष्कासित कर दिया गया हैै। जीएमसी के डीन ने कोहेफिजा थाने में हड़ताली डॉक्टरों व कर्मचारियों के खिलाफ संयुक्त रूप से एफआईआर दर्ज कराई है। गुरुवार सुबह तक पदाधिकारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।

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