अचानक सड़कों पर उतर आए हजारों आदिवासी, कलेक्ट्रेट घेर लिया, अफसरों में दहशत

भोपाल। यह किसी लोकतांत्रिक छापामार हमले जैसा था। अचानक शहर की सड़कों पर आदिवासियों का हुजूम दिखाई देने लगा। यहां वहां सभी जगह सिर्फ आदिवासी ही आदिवासी नजर आ रहे थे। वो भीड़ की शक्ल में कलेक्ट्रेट की तरफ बढ़ रहे थे। मप्र पुलिस का खुफिया तंत्र एक बार फिर पूरी तरह से फेल हो चुका था। लाइन और थानों में बैठे बल को आपातकाल की स्थिति में दौड़ाया गया लेकिन मौजूद बल नाकाफी था। यह खबर जैसे ही कलेक्ट्रेट पहुंची, अधिकारियों का हलक सूख गया। वो कुर्सी छोड़ बाहर निकल आए और आदिवासियों के मानमनोव्वल करते रहे। 

अचानक सड़कों पर उतारा बैगाओं का सैलाब


मामला उमरिया जिले का है। सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने और लगातार प्रशासनिक उपेक्षा से नाराज बैगा आदिवासियों के हल्ला बोल देने से प्रशासनिक हल्के में अफरातफरी मच गई। बगैर किसी सूचना के अचानक बैगाओं का सैलाब जब सड़कों पर उतरा तो पुलिस के होश उड़ गए। किसी अनहोनी से बचने तत्काल पुलिस बल की व्यवस्था करनी पड़ी। बाद में बैगा आदिवासियों का सैलाब कलेक्टर कार्यालय पंहुचा तो चारों तरफ सिर्फ बैगा ही बैगा दिखाई दे रहे थे।

घबराए अफसर कुर्सी छोड़ मनुहार करते नजर आए


आदिवासियों के हल्ला बोल से घबराए अफसर उनके कलेक्ट्रेट पंहुचने के पहले ही कुर्सी छोड़ तत्काल बाहर खड़े हो गए और आदिवासियों को उनकी हर समस्या का जल्द से जल्द समाधान का भरोसा देकर किसी तरीके से उन्हें खुश करने की कोशिश की। 

भाजपा नेता कर रहा था प्रदर्शन का नेतृत्व


बैगा आदिवासियों के इस हल्ला बोल आंदोलन की अगुवाई बीजेपी के बैगा नेता सतीलाल के करने से इस पूरे घटनाक्रम को भले ही सियासी आईने से भी देखा जा रहा हो लेकिन विधानसभा चुनाव के ठीक पूर्व बैगा आदिवासियों का आक्रोश और सरकार के कामकाज पर सवाल कहीं न कहीं सरकार की मंशा को कठघरे में ला देता है।
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