
राज्य शासन ने प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में स्वीकृत एवं रिक्त पदों के विरूद्ध प्रति कालखंड मानदेय के आधार पर प्रतिवर्ष अतिथि विद्वानों को 11 माह के लिए आमंत्रण देने की नीति के अंतर्गत वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए यह निर्णय दिया है। जिसके चलते संपूर्ण शैक्षणिक वर्ष की कलावधि के लिए प्रति कालखंड के स्थान पर दैनिक मानदेय का निर्धारण करते हुए न्यूनतम निश्चित मानदेय दिया जाएगा।
बता दें कि मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा को निरस्त कर अपने नियमितिकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर के अतिथि विद्वान लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। इतना ही नहीं अतिथि विद्वानों की यह नियुक्ति तीन साल के लिए होगी। गर्मियों के अवकाश के दौरान भी इन्हें वेतन दिया जाएगा। साथ ही छुट्टियों का भी लाभ दिया जाएगा। इसी तरह की खबरें नियमित रूप से पढ़ने के लिए MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com