
घटना के विरोध में विश्वविद्यालय के कर्मचारी यूनियन और छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस और जिला प्रशासन के अफसर विद्यालय पहुंच गए। बाद में सभी पक्षों को बुलाकर बैठक की गई जिसमें तय किया गया कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अरुण परिहार के इलाज का पूरा खर्चा विश्वविद्यालय प्रशासन उठाएगा। साथ ही 175 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों हाजिरी रजिस्टर पर नियमित हस्ताक्षर लिए जाएंगे। मौत की खबर आने के बाद एक बार फिर प्रदर्शन शुरू हो गया है।
अरुण परिहार कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में विश्वविद्यालय में पिछले 5 सालों से पदस्थ था लेकिन उसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने 1 जून को सेवा से पृथक कर दिया था। कर्मचारियों ने इसको लेकर विद्यालय प्रबंधन पर अपना निर्णय वापस लेने के लिए निवेदन किया था लेकिन विश्वविद्यालय ने इस पर कोई फैसला नहीं किया। नतीजतन डिप्रेशन में आए अरुण में बीती रात कमरे में बंद करके खुद को आग लगा ली। उसे तड़के दिल्ली रेफर किया गया। जहां उसकी मौत हो गई।
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