
यह उल्लेखनीय है की इस घटना की जांच के लिये पूर्व में तत्कालीन अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था लेकिन उन्होंने इस मामले में जांच पूरी नहीं की। बाद में मंजूषा की पदस्थापना जिला पंचायत की मुख्यकार्यपालन अधिकारी के पद पर हो गई। अत: अब दोबारा आदेश जारी किया गया है। यह विचारणीय प्रश्न है कि 2 वर्ष पूर्व घटित घटनाक्रम के मामले की ना तो मजिस्ट्रीयल जांच पूर्ण हो पाई और ना ही पुलिस की विवेचना हो पाई।
क्या है मामला
सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक पोस्ट के मामले में आरएसएस प्रचारक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। संघ प्रचारक सुरेश यादव का आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हे घेरकर पीटा और जानलेवा हमला किया। इस हमले के बाद आरोपित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। टीआई से लेकर आईजी तक सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को हटा दिया गया था।
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