2 साल पुराने RSS प्रचारक पिटाई कांड में मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। आपको याद होगा 25 सितम्बर 2016 को बैहर में टीआई टीआई जियाउलहक पर आरोप लगा था कि उन्होंने आरएसएस के प्रचारक सुरेश यादव को बेरहमी से पीटा। इस मामले में राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किए थे एवं गृहमंत्री ने भी पीड़ित संघ प्रचारक के पक्ष में बयान जारी किया था। राजनीतिक दवाब में तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश शर्मा, टीआई जियाउलहक तथा सबइस्पेक्टर अनिल अजमेरिया को निलम्बित कर एफआईआर दर्ज की गई थी। 2 साल बाद इस मामले में कलेक्टर ने मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश जारी किए हैं। 

यह उल्लेखनीय है की इस घटना की जांच के लिये पूर्व में तत्कालीन अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था लेकिन उन्होंने इस मामले में जांच पूरी नहीं की। बाद में मंजूषा की पदस्थापना जिला पंचायत की मुख्यकार्यपालन अधिकारी के पद पर हो गई। अत: अब दोबारा आदेश जारी किया गया है। यह विचारणीय प्रश्न है कि 2 वर्ष पूर्व घटित घटनाक्रम के मामले की ना तो मजिस्ट्रीयल जांच पूर्ण हो पाई और ना ही पुलिस की विवेचना हो पाई।

क्या है मामला
सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक पोस्ट के मामले में आरएसएस प्रचारक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। संघ प्रचारक सुरेश यादव का आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हे घेरकर पीटा और जानलेवा हमला किया। इस हमले के बाद आरोपित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। टीआई से लेकर आईजी तक सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को हटा दिया गया था। 
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