हाथी ने कमलनाथ के सपनों को रौंदा, संकट में कमलनाथ सरकार

भोपाल। भले ही अभी 2018 के विधानसभा चुनावों की अधिसूचना तक जारी नहीं हुई है लेकिन कुछ लोगों ने 'कमलनाथ सरकार' का पूरा खाका खींच रखा है। टिकट वितरण से लेकर मंत्रीमंडल के गठन और विभागों के वितरण तक की रणनीति तैयार है। इस सबमें सबसे महत्वपूर्ण था बसपा से गठबंधन लेकिन आज कमलनाथ के सपनों को हाथी ने रौंद डाला। बसपा चीफ मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि वो मप्र में सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चुनाव पूर्व कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। कुल मिलाकर वही सीन तैयार हो रहा है जिसकी संभावना भोपाल समाचार ने व्यक्त की थी। 

दरअसल, कमलनाथ और उनकी पूरी टीम की सफलता ही 2 पिलर्स पर टिकी है। मप्र में शिवराज सिंह का विरोध और बसपा से गठबंधन। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को पूरा भरोसा है कि जनता उन्हे इसलिए वोट देगी क्योंकि वो शिवराज सिंह चौहान से नाराज है। मप्र में ना तो कमलनाथ की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ रहा है और ना ही कमलनाथ और उनकी टीम ऐसा कुछ कर रही है कि कमलनाथ के नाम की आंधी चले। इसके अलावा कमलनाथ को अपनी कांग्रेस पर भी भरोसा नहीं है। बसपा से गठबंधन के लिए वो कई बार बयान दे चुके हैं। 

मध्य प्रदेश बीएसपी के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद अहिरवार ने कहा कि मुझे मीडिया से पता चला है कि कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीएसपी के साथ गठबंधन के लिए कांग्रेस की बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस गठबंधन के संबंध में राज्य स्तर पर हमारी कोई बातचीत नहीं हो रही है। अहिरवार ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बारे में केंदीय नेतृत्व से अब तक कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। अहिरवार ने यह भी बताया कि हम प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। कहने की जरूरत नहीं कि यह बयान प्रदेश अध्यक्ष का स्वतंत्र ​बयान नहीं है बल्कि मायावती की मंजूरी के बाद दिया गया है। 

अब शुरू होगी कांग्रेस के साथ सौदेबाजी

दरअसल, बसपा का मप्र में कोई जनाधार नहीं है। कमलनाथ ने बार बार बयान देकर उसका महत्व बढ़ा दिया। कर्नाटक का नाटक सारे देश में अब भी ताजा है। ज्यादा सीट होने के बावजूद कांग्रेस ने वहां सीएम की कुर्सी एक ऐसी पार्टी को दे दी जिसकी स्थिति कर्नाटक में ठीक वैसी ही थी जैसी कि मप्र में बसपा की है। मायावती मप्र की मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहतीं परंतु यदि सत्ता का सबसे बड़ी कुर्सी किस्मत से हाथ आती हो तो कौन छोड़ना चाहेगा। इसलिए वो फिलहाल चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए तैयार नहीं है। 
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