नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ दल की बैठक हुई। इसमें कहा गया है कि भारत अपने इतिहास में सबसे खराब दीर्घकालिक जल संकट का सामना कर रहा है। कारण आपूर्ति से ज्यादा मांग का बढ़ना है। अगर इसका समाधान नहीं हुआ, तो लाखों लोगों की जिंदगी और आजीविका खतरे में पड़ सकती है। 2030 तक पानी की मांग और बढ़ेगी। अगर आपूर्ति नहीं हुई, तो आने वाले समय में एक गंभीर समस्या बन सकती है। रिपोर्ट के अनुसार अंततः सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) घटकर करीब 6 फीसदी हो जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत अब तक के इतिहास में इस समय सबसे ज्यादा जल संकट की मार झेल रहा है, और इससे लाखों लोगों की जान और आजीविका दोनों खतरे में है। नीति आयोग के समग्र जल प्रबंधन सूचकांक में गुजरात सबसे ऊपर है। वहीं झारखंड सूची में सबसे निचले पायदान पर है। सूची में गुजरात के बाद क्रमश: मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का स्थान है।
रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में त्रिपुरा पहले स्थान पर रहा। उसके बाद क्रमश: हिमाचल प्रदेश, सिक्कम और असम का स्थान है। नीति आयोग ने समग्र जल प्रबंधन के सूचकांक के आधार पर पहली बार राज्यों की सूची तैयार की है। यह सूचकांक 9 व्यापक क्षेत्रों में भूमिगत, जल निकायों के स्तर में सुधार, सिंचाई, कृषि गतिविधियां, पेय जल, नीति एवं संचालन व्यवस्था समेत कुल 28 विभिन्न संकेतकों के आधार पर तैयार किया गया है।
इसमें जल की स्थिति के आधार पर राज्यों को दो विशेष समूह....पूर्वोत्तर तथा हिमालयी राज्य एवं अन्य राज्य...में बांटा गया है। रिपोर्ट के अनुसार जल प्रबंधन के मामले में झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब है। जिन राज्यों ने अच्छा किया है, उन्होंने कृषि के मोर्चे पर भी बेहतर किया है। फिलहाल 60 करोड़ लोग जल समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं करीब दो लाख लोगों की हर साल साफ पानी की कमी से मौत हो जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक देश में पानी की मांग आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाने का अनुमान है। इससे करोड़ों लोगों के समक्ष जल संकट की स्थिति उत्पन्न होगी। नीति आयोग ने भविष्य में सालाना आधार पर रैंकिंग जारी करने का प्रस्ताव किया है। आधिकारिक बयान के अनुसार यह सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के जल संसाधन के प्रभावी प्रबंधन के आकलन एवं सुधार का एक महत्वपूर्ण जरिया होगा।
इसे जल संसाधन मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी के साथ तैयार किया गया है। यह सूचकांक राज्यों एवं संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों: विभागों को जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन के लिये उपयुक्त रणनीति बनाने एवं क्रियान्वयन के लिये उपयोगी सूचना उपलब्ध कराएगा।
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