जबलपुर, विदिशा के बाद ग्वालियर में डकैती

ग्वालियर। जबलपुर और विदिशा में कारोबारियों के यहां डकैती के बाद अब ग्वालियर में डकैती का मामला सामने आया है। यहां शहर के पॉश इलाके लक्ष्मीबाई कॉलोनी में डकैती डाली गई। यहां शहर की बड़ी कोचिंग, दो वाहन शोरूम, एक बड़ा हॉस्पिटल और कई संस्थानों के दफ्तर स्थित हैं। जहां सुबह से लेकर रात तक खासी चहल-पहल रहती है, उसी कॉलोनी के मकान नंबर-81 में रहने वालीं विनीता पत्नी स्व. एसके उपाध्याय (68) को उन्हीं के घर में बंधक बनाकर चार बदमाशों ने डकैती की वारदात को अंजाम दिया। बदमाश 15 तोला सोने के जेवरात और 2 लाख रुपए नकद लूट ले गए। वारदात रविवार-सोमवार की रात 2 से 3.30 बजे तक हुई। बता दें कि जबलपुर और विदिशा में भी इसी समय वारदात हुई थी। 

पीड़िता विनीता उपाध्याय ने बताया मैं सो रही थी। अचानक मेरा मुंह दबा और हाथ-पैर जकड़े, तब नींद खुली। चार में से एक बदमाश बोला- हम सामान लूटने आए हैं। मैंने हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो मेरा गला दबाने लगे। चारों के मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। मेरे दोनों फोन पास में ही रखे थे। वह भी उन्होंने लेकर बंद कर दिए। मैं खुद को छुड़ाने के लिए झटपटाई लेकिन मेरे गले में पेचकस रखकर बोले- आवाज की तो गला काट देंगे। मुझे लगा, अब नहीं बचूंगी। हाथ जोड़कर मैंने मना किया, तब छोड़ा। 

पहले एक बदमाश पूरे घर में घूमा। फिर मेरे पलंग के सामने रखी अलमारी का ताला तोड़ा और पूरे जेवर और पैसे निकाल लिए। मंदिर से भगवान के चांदी के बर्तन उठा लिए। मैंने तीन बार शोर मचाने की कोशिश की लेकिन मेरा मुंह दबा दिया, जिससे खून तक आने लगा। तब एक बदमाश ने फ्रिज से ठंडा पानी पिलाया। फ्रूटी भी देने लगे। बोले- स्कूटर की चाबी दे दो भिंड जाना है। फिर हाथ खोलकर बोले- हम 7 बजे तक बाहर बैठे है। बाहर निकलीं तो मार देंगे। 

अभी भी वही नजारा आंखों के सामने आ रहा है। अब मैं अकेले नहीं रह पाऊंगी। यह जेवर मेरे पति की निशानी थे, वही लूटकर ले गए। मेरे पति का निधन 15 मई को हुआ था। मंगलवार को उनकी चौथी बरसी थी। मुझे दान करना था, इसके लिए दो दिन पहले बेटा 2 लाख रुपए दे गया था। वही पैसे बदमाश लूट ले गए।

4 साल पहले पति का निधन बेटा भोपाल में BANK अफसर
वृद्धा के पति का चार साल पहले निधन हो चुका है। वह पीएनबी में रीजनल मैनेजर थे। उनका बेटा भोपाल में एक्सिस बैंक में मैनेजर है। उसके पत्नी, बच्चे भोपाल ही रहते हैं। बेटा उन्हें अपने साथ भोपाल ले जाना भी चाहता था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन के 35 साल इसी घर में पति के साथ गुजारे। पति के निधन के बाद इन्हीं यादों के सहारे वह अकेली रहती थीं और घर को छोड़कर जाना नहीं चाहती थीं। जब से यह घटना उनके साथ घटी, तब से वह खौफ में हैं। हालात यह हैं कि जिस घर को छोड़कर बेटे के साथ जाने को वह तैयार नहीं थीं, उस घर में जाने से भी डर रही हैं। हर पल उनके सामने वही नजारा आ रहा है, जिसे सोचकर ही वह सहम जाती हैं।

निगरानी: घर में सिर्फ बाई और माली आते हैं
वृद्धा के घर रोज काम करने वाली बाई का आना जाना रहता है। बाई 4 दिन से छुट्टी पर चल रही है। एक माली सप्ताह में एक बार गार्डन में काम करने आता है। वह हजीरा का रहने वाला है। वृद्धा के घर के बगल से घर में कॉलेज के छात्र किराए से रहते हैं। घटना के बाद पड़ाव थाना टीआई संतोष सिंह, फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और स्निफर डॉग के साथ पहुंचे। बाद में क्राइम ब्रांच भी पहुंची। पुलिस ने वृद्धा को हुलिए से मिलते जुलते फोटो भी दिखाए लेकिन वह पहचान नहीं पाईं।

पुलिस को आशंका: कोई करीबी शामिल
पुलिस को आशंका है कि बदमाश जानते थे कि वृद्धा के पास कैश रहता है। 2 दिन पहले ही उनका बेटा 2 लाख दे गया था। इसलिए कोई करीबी शामिल है। बदमाशों ने घर में घुसने के लिए उसी कमरे की खिड़की तोड़ी जिसका दरवाजा खुला रहता है। वे घर के मेन गेट की ओर नहीं आए, क्योंकि यहां सामने ही सीसीटीवी कैमरा लगा है।

पुलिस की लापरवाही- गश्त पर थेे, लेकिन लक्ष्मीबाई कॉलोनी गए ही नहीं
रविवार रात को पड़ाव थाने के एसआई शिवनारायण नरवरिया गश्त पर थे। जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि वह लक्ष्मीबाई कॉलोनी गए ही नहीं, क्योंकि फूलबाग पर झगड़ा हो गया था। वहां अधिक समय लग गया। एमएलबी कॉलोनी में जहां यह वारदात हुई, वह कवर्ड कैंपस है। चार मकान छोड़कर माहेश्वरी नर्सिंग होम है, गेट पर गार्ड तैनात रहता है। 4 साल पहले एक गार्ड था, वह गश्त करता था लेकिन उसे हटा दिया गया।

यह था हुलिया
एक बदमाश लंबे कद का था। दो बदमाश करीब 5.3 फीट के रहे होंगे। एक बदमाश काले, लाल रंग की बनियान पहना था। एक टीशर्ट और दो शर्ट पहने हुए थे। बातचीत में वे ग्वालियर के ही लग रहे थे।

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