उमा भारती @ शिवराज सिंह, मेरे विनय को IAS बनवा दो

भोपाल। केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती द्वारा सीएम शिवराज सिंह चौहान को लिखी गई एक चिट्टी ​लीक हो गई है। यह चिट्ठी मार्च में लिखी गई थी। इसमें उमा भारती ने अपने प्रिय अधिकारी विनय निगम की सिफारिश की है। विनय निगम राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और ज्यादातर समय उन्होंने उमा भारती के साथ ही बिताया है। उमा भारती चाहतीं हैं कि प्रशासनिक प्रक्रिया में दखल देते हुए विनय निगम को समय के पहले ही आईएएस बना दिया जाए। उमा भारती ने आईएएस अवार्ड के लिए आयोजित की जाने वाली डीपीसी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया है।  

मौतव्रत तोड़कर लिखा सिफारिशी पत्र


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को संबोधित इस पत्र में उन्होंने कहा है, ‘मौसम ख़राब होने की वजह से आप (मुख्यमंत्री) से फोन पर बात नहीं हो पा रही है इसलिए पत्र लिख रही हूं और इसकी एक प्रति डीओपीटी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह को भी भेज रही हूं। पत्र में उमा भारती ने लिखा है कि चूंकि पिछले 20 सालों से विनय निगम उनके साथ जुड़े रहे, बस इसी की सजा उन्हें मिल रही है और वे अधिकारी जिन्हें उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में दंडित किया था, वे अब विनय निगम के प्रमोशन में रुकावट डालकर, निगम की आड़ में मुझसे बदला ले रहे हैं। दो पृष्ठों के इस पत्र में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री लिखती हैं कि वे उत्तराखंड के हरषिल में हैं और अपना मौन तोड़कर यह पत्र लिख रही हैं।

विपत्तिकाल में भी मेरे साथ खड़े रहे

उक्त पत्र में भारती ने विनय निगम के बारे में लिखा है, ‘विनय निगम मेरे साथ पिछले 20 साल से काम कर रहे हैं। वो मध्य प्रदेश राज्य सेवा के 1994 बैच के डिप्टी कलेक्टर हैं। मैं 1999 में भोपाल से सांसद बनी तो राज्य की भाजपा के अनुरोध पर हमारी विचारधारा का एवं स्वच्छ छवि का युवा अधिकारी होने के कारण मैंने उनको अपना एडिशनल पीएस बनाया। तब मैं अटल सरकार में मंत्री थी। तभी से विनय निगम मध्य प्रदेश के सभी कार्यकर्ताओं का ध्यान रखते हुए मेरे अनन्य सहयोगी बने रहे। पत्र में उन्होंने भाजपा से साल 2005 में अपने निकाले जाने का भी जिक्र किया है और कहा है कि उस विपत्तिकाल में भी निगम उनके साथ खड़े रहे।

IAS बन जाए इसलिए मैने मुक्त कर दिया था


वे दावा करती हैं कि निगम के खिलाफ लोकायुक्त में हुई शिकायत जिसके आधार पर उनके प्रमोशन के रास्ते में रुकावट आई थी, वह झूठी थी। निगम के खिलाफ वो शिकायत इसलिए कराई गई क्योंकि वे मेरे साथ खड़े थे। साथ ही, उमा भारती ने लिखा है कि उनके केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद विनय उनके साथ काम कर रहे थे जिसके बाद उन्होंने ही शिवराज सिंह चौहान से बात करके उन्हें मध्य प्रदेश भिजवाया ताकि उन्हें आईएएस बना दिया जाए।

आपके अधिकारी मुझसे बदला ले रहे हैं

वे आगे लिखती हैं, ‘जो डीपीसी हुई उसमें विनय निगम के समकालीन लोगों के जो नाम डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) में भारत सरकार को भेजे गए उनमें विनय निगम का नाम नहीं है। इसके पीछे जो तर्क दिए गए हैं उस हिसाब से कई अधिकारियों का पक्ष विनय निगम से ज्यादा कमजोर है। उमा भारती ने शिवराज को लिखा है, ‘मुझे विनय निगम के प्रति आपके दृष्टिकोण में कोई त्रुटि नजर नहीं आती है। आपने विनय निगम के मामले में मेरे बीजेपी में लौटकर आने के बाद अपना दृष्टिकोण स्वस्थ रखा, लेकिन मध्यप्रदेश शासन की डीपीसी प्रक्रिया में संलग्न कई अधिकारी हैं जिन्होंने मुझसे बदला लेने का यह अच्छा अवसर माना और मनगढंत तर्क देकर विनय निगम का नाम दिल्ली नहीं भेजा।

विभागीय परीक्षा नहीं दी इसलिए वरिष्ठता कम हो गई

इस मामले में कार्मिक विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी का कहना है कि, ‘विनय निगम ने तय समय में विभागीय परीक्षा पास नहीं की। इसलिए वरिष्ठता प्रभावित हुई है। उमा भारती के मुख्यमंत्री बनने से पहले उनकी वरिष्ठता निर्धारित हुई थी। 2017 के आईएएस अवॉर्ड के विचार के क्षेत्र में भी उनका नाम नहीं था। रिव्यू डीपीसी का सवाल ही नहीं उठता।’ गौरतलब है कि जॉइनिंग के तीन साल के अंदर विभागीय परीक्षा पास नहीं करने से विनय निगम वरिष्ठता में पिछड़ गए। 

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